लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में पिछले महीने पुल टूटने की वजह गर्डर को ‘कास्ट (सांचा)’ करने के बाद क्रॉस बीम की ढलाई नहीं करना था. इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गयी थी. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा रेलवे ओवरब्रिज का एक हिस्सा गिरने की वजह पता करने के लिए गठित तकनीकी समिति ने पिछले सप्ताह सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है.
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इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि दुर्घटनास्थल के दोनों ओर भारी यातायात अथवा हवा के दबाव के कारण हो रहे कंपन के प्रति अलग से कास्ट किये गये गर्डर संवेदनशील थे. रिपोर्ट प्रमुख सचिव (लोक निर्माण विभाग) संजय अग्रवाल को सौंपी गयी है. मौर्य इस समय दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि पी-79 से पी-80 के बीच पांच गर्डर को कास्ट करने के बाद प्रावधान के अनुरूप क्रॉस बीम की ढलाई नहीं की गयी. इससे सभी गर्डर अलग रहे और गिरने के लिहाज से संवेदनशील भी. इसमें कहा गया कि पुल के नीचे दिन रात यातायात चलना दुर्घटना की वजह बना.
समिति में उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (सेतु) वाईके गुप्ता एवं इलाहाबाद सर्किल के मुख्य अभियंता एसके गुप्ता थे. लहरतारा और चौकाघाट के बीच 2261 मीटर लंबा फ्लाईओवर उत्तर प्रदेश सेतु निगम बना रहा है. इसकी लागत 129 करोड़ रुपये है. पुल का एक हिस्सा 15 मई को गिर गया था. सेतु निगम के अधिकारियों और मौके पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
हालांकि, इसमें नामजद किसी को नहीं किया गया है. सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक और अन्य अधिकारी सरकार ने निलंबित किये. निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजन मित्तल को भी हटा दिया गया था.