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Varanasi: ईरान में हिजाब प्रदर्शन पर सद्गुरु जग्गी बोले- धार्मिक लोग तय न करें कि स्त्रियां क्या पहनें

Varanasi News: सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपने वाराणसी प्रवास के दौरान कई अहम विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि स्त्री और पुरुष सृष्टि रूपी पृथ्वी के दो ध्रुव हैं. जिस तरह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर पृथ्वी टिकी है और सृष्टि चल रही है. अगर...

Varanasi News: सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपने वाराणसी प्रवास के दौरान कहा कि, काशी का अर्थ है प्रकाश स्तंभ. दुनिया के तमाम पर्यटक स्टील से बने एफिल टावर देखने जाते हैं. लोग माउंट एवरेस्ट भी नहीं जाते, जबकि उन्हें ज्ञान के प्रकाश के इस स्तंभ तक पहुंचना चाहिए. पर्यटकों के इस अनुपात से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया किस मनोदशा में जी रही है. सद्गुरु ने शुक्रवार की शाम शहर में नदेसर स्थित एक होटल में अनुयायियों के साथ ऐसे ही कई अन्य विचार व्यक्त किए.

उन्होंने कहा, काशी में संसार भर के लोगों को आना चाहिए. भगवान शिव की नगरी काशी ही जीवन में संतुलन सिखाती है. शिव से बेहतर संतुलन साधक कोई और नहीं हो सकता. उनका अर्धनारीश्वर रूप स्त्री-पुरुष समानता व संतुलन का प्रतीक है. नवरात्र महात्म्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नवरात्र देवी के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है. दुनिया की सभी प्राचीन सभ्यताओं में देवी उपासना का प्रमाण मिलता है.

सद्गुरु ने कहा कि, इस दौर में समूचे विश्व में स्त्री गुणों का विनाश और पुरुषवाद बढ़ता जा रहा है. यह स्थिति इतनी बलवती हो चुकी है कि पुरुष की तरह ही महिलाएं बनना या दिखना चाहती हैं. यह एक विचित्र स्थिति है और ऐसे में वे सिर्फ दुख ही पाएंगी. उन्होंने कहा कि स्त्री और पुरुष सृष्टि रूपी पृथ्वी के दो ध्रुव हैं. जिस तरह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर पृथ्वी टिकी है और सृष्टि चल रही है. अगर, उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव पर चला जाए तो क्या होगा, पृथ्वी नष्ट हो जाएगी. उत्तरी ध्रुव पिघल भी रहा है, वह भूमध्य रेखा तक आएगा और फिर अंतत: दक्षिणी ध्रुव चला जाएगा. यही स्थिति स्त्री-पुरुष मनोदशा की है.

सद्गुरु ने कहा कि, आज ईरान में हिजाब को लेकर प्रदर्शन हो रहा है. धार्मिक लोग यह न तय करें कि स्त्रियां क्या पहनें, कैसी दिखें. दरअसल, यहां भी पुरुषवादी सोच प्रभावी है. एक वर्ग यह चाहता है कि स्त्रियों का इंच-इंच शरीर ढका रहे, दूसरा वर्ग चाहता है कि उनके कपड़े इंच-इंच छोटे होते जाएं. स्त्रियां दोनों मनोदशाओं के लोगों के बीच फंसी हुई हैं. स्त्री को खुद यह तय करना होगा कि वह क्या पहने और कैसी दिखें. उन्होंने कहा कि मैं बस! ध्रुवों के बीच संतुलन की कोशिश में लगा हूं. दुनिया व मनुष्य का जीवन तभी संतुलित रहेगा, जब सभी ध्रुव अपने-अपने स्थान पर स्थिर हों.

इससे पहले सद्गुरु ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचकर भगवान शिव का दर्शन-पूजन किया. पवित्र महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शिष्यों को जीवन की निस्सारता का बोध कराया. कहा, जीवन में तमाम परिस्थतियां आती हैं, आप स्वयं में उन परिस्थितियों को औरों से पहले देख लेने की दृष्टि विकसित करें. तभी जीवन में बेहतर यात्री बन सकते हैं.

आत्मज्ञान दिवस को प्रतिवर्ष काशी में मनाने आते हैं सद्गुरु

सद्गुरु के साथ इस आध्यात्मिक यात्रा पर 23 बसों से देश-विदेश से शिष्य आए हैं. वर्ष 2019 में जब सद्गुरु वाराणसी आए थे, उस समय उन्होंने बताया था कि जब वह 25 वर्ष के थे, तब उन्हें मैसूर में 23 सितंबर को ही ज्ञान प्राप्त हुआ था. अब से इस आत्मज्ञान दिवस को वह प्रतिवर्ष काशी में मनाने आ रहे हैं.

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