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Friday, March 29, 2024

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बरेली कॉलेज का 1857 की क्रांति में था मुख्य योगदान, क्रांतिकारियों ने अंग्रेज प्रिंसिपल की ले ली थी जान

बरेली कॉलेज के शिक्षक मौलवी महमूद हसन और फ़ारसी शिक्षक कुतुब शाह समेत तमाम राष्ट्रवादी छात्र आंदोलन में कूद गए.बरेली कॉलेज में हुकूमत के खिलाफ तमाम बैठक होती थी. इसका कॉलेज के प्रिंसिपल ने विरोध किया.इससे खफा क्रांतिकारियों ने कॉलेज के प्रिंसपल डॉ.कारलोस बक को मौत के घाट उतार दिया.

Bareilly News: जंग-ए-आजादी की लड़ाई में बरेली की मुख्य भूमिका थी.रुहेला सरदारों की फौज के साथ ही क्रांतिकारी छात्रों ने भी अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबला किया था. बरेली कॉलेज, बरेली तक जंग-ए-आजादी की लड़ाई की चिंगारी पहुंच गई. इसके बाद क्रांतिकारी छात्रों ने जंग-ए-आजादी का विरोध करने वाले कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.कारलोस बक को भी मौत के घाट उतार दिया था.

जंग-ए-आजादी की लड़ाई को जारी रखा

बरेली में स्थित बरेली कॉलेज की स्थापना वर्ष 1837 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हुई थी, लेकिन जब अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में क्रांति का बिगुल बजा तो रुहेलखंड में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की बागडोर रुहेला सरदार खान बहादुर खान ने संभाल ली. रुहेला सरदार के नेतृत्व में क्रांतिकारी अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे. बरेली कॉलेज के शिक्षक मौलवी महमूद हसन और फ़ारसी शिक्षक कुतुब शाह समेत तमाम राष्ट्रवादी छात्र आंदोलन में कूद गए.बरेली कॉलेज में हुकूमत के खिलाफ तमाम बैठक होती थी. इसका कॉलेज के प्रिंसिपल ने विरोध किया.इससे खफा क्रांतिकारियों ने कॉलेज के प्रिंसपल डॉ.कारलोस बक को मौत के घाट उतार दिया. कॉलेज के क्रांतकारी छात्रों ने ब्रिटिश हुकूमत के दौरान छात्र हित में सबसे बड़ी 110 दिन की हड़ताल की.इ स दौरान छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए सीनियर छात्रों ने जूनियरों को जुबली पार्क में पढ़ाया, लेकिन जंग-ए-आजादी की लड़ाई को जारी रखा.

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राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए हुआ आंदोलन

बरेली कॉलेज से जंग-ए-आजादी के साथ ही राष्ट्रभाषा हिंदी को बचाने के लिए भी आंदोलन हुआ था.प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्ष 1965 में राष्ट्रभाषा हिंदी के आंदोलन तक में बरेली कॉलेज की मुख्य भूमिका रही है.स्वतंत्रता संग्राम की तमाम निशानी मौजूद हैं.इन्ही में से एक बरेली कॉलेज की इमारत भी है.ये इमारत सिर्फ एक शिक्षण संस्थान ही नहीं, बल्कि इस इमारत के सीने में आजादी की लड़ाई की तमाम कहानियां दफन हैं.

185 वर्ष पुराना कॉलेज

ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1837 में देश में 4 कॉलेज खोले थे.इसमें मुंबई, कोलकाता, अजमेर और बरेली में कॉलेज खोला गया था.बरेली कॉलेज जंग ए आजादी के साथ ही तमाम यादों को सजोएं हुए है.

आजाद छात्रावास का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान

बरेली कॉलेज के शिक्षक और छात्रों का जंग-ए-आजादी की लड़ाई में मुख्य योगदान है. इसके साथ ही वर्ष 1906 में आजाद हॉस्टल बनाया गया था. हॉस्टल में कुल 72 कमरे हैं. इनमें 68 कमरे छात्राओं के रहने के लिए बने हुए हैं. बरेली कॉलेज के आजाद छात्रावास ने 1929 से 1943 तक राष्ट्रीय आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई थी.

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रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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