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एंटी फंगल इंजेक्शन Amphotericin-B लगाने के बाद 70 से अधिक ब्लैक फंगस संक्रमितों की हालत बिगड़ी, एमपी का है मामला

भोपाल : मध्य प्रदेश के दो मेडिकल कॉलेजों में दो दिनों में एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin-B) इंजेक्शन लगाने के बाद 70 से अधिक म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगल संक्रमित (Black Fungal Infection) रोगियों की हालत बिगड़ गयी. अधिकारियों ने कहा कि दोनों कॉलेजों में, रोगियों का इलाज किया गया है और अब उनकी हालत में सुधार है. इसके बाद राज्य सरकार द्वारा आपूर्ति किये गये इंजेक्शन के स्टॉक को वापस कर दिया गया.

भोपाल : मध्य प्रदेश के दो मेडिकल कॉलेजों में दो दिनों में एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin-B) इंजेक्शन लगाने के बाद 70 से अधिक म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगल संक्रमित (Black Fungal Infection) रोगियों की हालत बिगड़ गयी. अधिकारियों ने कहा कि दोनों कॉलेजों में, रोगियों का इलाज किया गया है और अब उनकी हालत में सुधार है. इसके बाद राज्य सरकार द्वारा आपूर्ति किये गये इंजेक्शन के स्टॉक को वापस कर दिया गया.

एम्फोटेरिसिन-बी एक प्रमुख ऐंटिफंगल दवा है जिसका उपयोग म्यूकोर्मिकोसिस के उपचार में किया जाता है. अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को आपूर्ति की जा रही दवा के स्वरूप में बदलाव पर प्रतिकूल प्रतिक्रिया का आंकलन किया है. आनन-फानन में अस्पताल को सप्लाई किये गये सभी एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन को वापस कर दिया गया है.

पहली घटना शनिवार शाम को सागर जिले के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) में दर्ज की गयी. यहां 42 में से 25 रोगियों का म्यूकोरमाइकोसिस के लिए इलाज किया जा रहा था, उन्हें एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन दिये जाने के तुरंत बाद उल्टी, हल्का बुखार और कंपकंपी शुरू हो गयी. राज्य में अब तक कुल 1,056 सक्रिय म्यूकोरमाइकोसिस के मामले सामने आये हैं.

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द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, बीएमसी के जनसंपर्क अधिकारी, उमेश पटेल ने कहा कि भोपाल में राज्य सरकार से एक दिन पहले एम्फोटेरिसिन-बी के लगभग 350 इंजेक्शन का स्टॉक प्राप्त हुआ था. यह नये स्टॉक की पहली खुराक थी जो रोगियों को शनिवार शाम को दी गयी थी. लेकिन सभी मरीजों में इंजेक्शन के विपरित प्रभाव देखने को मिले और इसका इस्तेमाल रोक दिया गया. मरीजों की हालत तुरंत स्थिर हो गई.

रविवार शाम को जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहे लगभग 50 म्यूकोरमाइकोसिस रोगियों को रविवार शाम 4 बजे इंजेक्शन की पहली खुराक दी गयी और उन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला. जबलपुर मेडिकल कॉलेज की म्यूकोरमाइकोसिस वार्ड की प्रमुख डॉ कविता सचदेवा ने बताया कि शाम 4 बजे के आसपास मैंने सागर में प्रतिकूल प्रतिक्रिया वाले रोगियों की खबर पढ़ी और महसूस किया कि मैंने रोगियों को भी यही इंजेक्शन लगाया था. मैंने अपने प्रशासन को तुरंत इसे बंद करने को कहा.

राज्य सरकार वर्तमान में मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज के लिए दवाओं की आपूर्ति कर रही है. आयुक्त (स्वास्थ्य) आकाश त्रिपाठी ने बताया कि एम्फोटेरिसिन-बी तीन रूपों में उपलब्ध है- लिपोसोमल (तरल रूप), लाइफोलाइज्ड (पाउडर रूप) और एक इमल्शन फॉर्म में उपलब्ध है. त्रिपाठी के अनुसार जो स्टॉक उपलब्ध था उसके आधार पर मेडिकल कॉलेजों को तीनों फॉर्म की आपूर्ति की गई थी. वर्तमान में बाजार में दवा की कमी है.

Posted By: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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