चांडिल.
चांडिल अनुमंडल के विभिन्न गांवों में बुधवार को गिरी गोवर्धन पूजा विधिवत रूप से संपन्न हुई. सुबह से ही ग्रामीणों और किसानों ने अपने गौशालाओं (गोहाल) में गाय और बैल की पूजा-अर्चना की. पूजा के दौरान गाय-बैल को गुड़ और पीठा का प्रसाद खिलाया गया तथा उनके सिर पर धान की बालियों से बने मुकुट और माला (मोड़) पहनाये गये. पूजा से पहले गौशाला के प्रवेश द्वार पर चावल की गुंडी से रंगोली बनाकर गाय-बैल का स्वागत किया गया और उन्हें विधिवत गौशाला में ले जाया गया.काली पूजा के दूसरे दिन होती है गिरी गोवर्धन की पूजा
ईचागढ़ टीकर गांव निवासी तड़ित गोप ने बताया कि काली पूजा के दूसरे दिन परंपरागत रूप से गिरी गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन किसान अपने गौधन और कृषि कार्य में सहयोगी पशुओं की पूजा कर गौ-रक्षा की कामना करते हैं. उन्होंने कहा कि इस पूजा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण ने की थी, जिसके बाद से यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी निभायी जा रही है. पूजा-अर्चना के बाद ग्रामीणों ने गाय-बैल को रंग-बिरंगे रंगों से सजाया और शाम को उनकी आरती उतारी गयी.कृषि औजारों की भी हुई पूजा
ग्रामीणों ने इस अवसर पर कृषि औजारों की सफाई कर उन्हें आंगन में स्थित तुलसी मंच पर स्थापित किया और विधिवत पूजा की. धान की बालियों से बने मुकुट (मोड़) से सजे बैलों की भी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की गयी. गोवर्धन पूजा के मौके पर लोगों ने नये वस्त्र धारण किये और नये सामान से चावल के आटे का पीठा बनाकर प्रसाद के रूप में भगवान को अर्पित किया, जिसे बाद में आपस में बांटा गया. शाम होते ही अधिकतर गांवों में टोली बनाकर अहिरा गीत गाये गये और ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोगों ने उल्लासपूर्वक पर्व का आनंद उठाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

