राजनगर.
राजनगर प्रखंड के गांवों में इन दिनों सोहराय पर्व की धूम है. यह पूर्णिमा तक चलेगा. गुरुवार को बीजाडीह, बनकाठी और संजाड़ गांव में पारंपरिक गोरू खुंटाव का आयोजन हुआ. संजाड़ में गोरू खुंटाव प्रतियोगिता में कुल 20 पशुपालकों ने हिस्सा लिया. महिलाओं ने पारंपरिक संताली परिधान पहनकर सूप में धूप, दीप, अरवा चावल आदि रखकर बैलों की पूजा की. इसके बाद ढोल-नगाड़ा, मांदर और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की ध्वनि पर ग्रामीणों ने अपने बैलों को पारंपरिक रूप से नचाया. यह नजारा देखने के लिए हजारों लोग पहुंचे.मंगल के मवेशी को प्रथम व होपना को द्वितीय पुरस्कार
प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मंगल हेम्ब्रम, द्वितीय पुरस्कार होपना हांसदा और तृतीय पुरस्कार प्रकाश टुडू को प्रदान किया गया. इस दौरान चरवाहा का काम करने वाले को धोती से सम्मानित किया. मौके पर शिवचरण मुर्मू ने कहा कि सोहराय पर्व आदिवासी-मूलवासी समाज की पहचान है. यह सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पशुधन के प्रति सम्मान का प्रतीक है. गोरू खुंटाव के जरिये हम प्रकृति और अपने जीवनदाता मवेशियों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. इसके बाद आदिवासी लांगड़े ऐनेज हेपराव (प्रतियोगिता) का आयोजन हुआ. विजेता महिलाओं को ड्रेसिंग टेबल, स्टैंड फैन, स्टील हांडी, बाल्टी सहित विभिन्न उपयोगी वस्तुएं पुरस्कार स्वरूप दी गयी.
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