खरसावां.
खरसावां प्रखंड के बुढ़ीतोपा गांव स्थित काली मंदिर परिसर में पारंपरिक खंदामाडा (नियांमाडा) का आयोजन भक्तिभाव से किया गया. इस अवसर पर मां काली के दर्जनों भक्तों ने मंदिर के सामने बने अग्निकुंड में अंगारों पर चलकर अपनी अटूट आस्था और श्रद्धा का परिचय दिया. युवा से लेकर बुजुर्ग तक हर उम्र के भक्त पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए. कई श्रद्धालुओं ने अपने कंधों पर बच्चों को बैठाकर भी अंगारों पर चलने की परंपरा निभायी. लगभग 60 भक्तों ने खंदा माडा की इस प्राचीन रस्म को पूर्ण निष्ठा से अदा किया. कहा जाता है कि बुढ़ीतोपा गांव में काली पूजा के दूसरे दिन हर वर्ष भक्त इसी तरह अंगारों पर चलकर मां काली की आराधना करते हैं. भक्तों का मानना है कि मन और आत्मा की शांति के लिए शरीर को कष्ट देना भी मां काली के चरणों में समर्पण का प्रतीक है. अपनी मन्नत पूरी होने पर भक्त ढोल-नगाड़ों की थाप पर अग्नि शोलों के बीच नृत्य कर अपने आराध्य देवी से किया वचन निभाते हैं.59 वर्षों से जारी नियांमाडा की परंपरा
बुढ़ीतोपा गांव में नियामाडा की परंपरा पिछले 59 वर्षों से अटूट भक्ति के साथ निभायी जा रही है. ग्रामीणों और हठी भक्तों का कहना है कि यह परंपरा मां काली की कृपा से आज भी जीवित है. उनका विश्वास है कि जब संपूर्ण प्रक्रिया मां काली को समर्पित है, तब भक्तों को किसी बाधा या पीड़ा का अनुभव नहीं होता. मन्नत पूरी करने के बाद मां के समक्ष दिया गया वचन पूरा करना प्रत्येक भक्त का धर्म माना जाता है.
काली पूजा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
काली पूजा के अवसर पर बुढ़ीतोपा काली मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. बड़ी संख्या में महिलाओं ने वैष्णव विधि से माता की पूजा-अर्चना की. मंदिर में स्थापित मां काली की भव्य प्रतिमा के दर्शन के लिए आसपास के गांवों से भी श्रद्धालु पहुंचे. यहां अगले सात दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होगा. पूजा का समापन और प्रतिमा विसर्जन 26 अक्तूबर की शाम को किया जायेगा.
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