प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के नेत्रोत्सव में जुटे श्रद्धालु, हुई पूजा-अर्चना
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प्रभु जगन्नाथ के दर्शन कर धन्य हुए भक्त
प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के नेत्रोत्सव में जुटे श्रद्धालु, हुई पूजा-अर्चना आज भाई-बहन के साथ रथ पर सवार हो कर मौसीबाड़ी जायेंगे प्रभु जगन्नाथ नेत्र उत्सव में प्रभु जगन्नाथ नव यौवन रूप के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु खरसावां : भक्तों के समागम, जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनि व पारंपरिक उलध्वनी हुलहुली के बीच […]
आज भाई-बहन के साथ रथ पर सवार हो कर मौसीबाड़ी जायेंगे प्रभु जगन्नाथ
नेत्र उत्सव में प्रभु जगन्नाथ नव यौवन रूप के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु
खरसावां : भक्तों के समागम, जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनि व पारंपरिक उलध्वनी हुलहुली के बीच शनिवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव संपन्न हुआ. इस मौके पर भक्तों को चतुर्था मूर्ति के नव
यौवन रूप के अलौकिक दर्शन भी हुए. नेत्र उत्सव को रथ यात्रा का प्रथम व महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है. शनिवार को एक पखवाड़े के बाद हरिभंजा, खरसावां, सरायकेला, सीनी समेत सभी जगन्नाथ मंदिरों के कपाट खुले. मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गयी. नेत्र उत्सव में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को बडी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. चतुर्था मूर्ति का विशेष श्रंगार किया गया था. रथ यात्रा को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्सव सा माहौल है.
एक पखवाड़े के बाद प्रभु जगन्नाथ ने दिये दर्शन
15 दिनों तक मंदिर के अणसर गृह में रहने के बाद शनिवार को चतुर्था मूर्ति के दर्शन हुए. नौ जून को स्नान पूर्णिमा के दिन अत्याधिक स्नान से महाप्रभु बीमार हो गये थे. 15 दिनों तक अणसर गृह में जड़ी-बुटी से प्रभु का इलाज किया गया. शनिवार को नेत्र उत्सव के दिन स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन दिये.
भंडारा का आयोजन कर भक्तों में बांटा प्रसाद
नेत्र उत्सव पर हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में भंडारा का आयोजन कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया. 500 से अधिक श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया गया. खरसावां के जगन्नाथ मंदिर में भी प्रसाद का वितरण किया गया.
भाई-बहन के साथ मौसीबाड़ी जायेंगे प्रभु जगन्नाथ
नेत्र उत्सव के अगले दिन प्रभु गन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा को अपने मौसीबाड़ी गुंडिचा मंदिर जाते हैं. रविवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा रथ पर सवार होकर अपने मौसी घर रवाना होंगे. रथ यात्रा ही एक मात्र ऐसा मौका होता है, जब प्रभु भक्तों को दर्शन देने के लिए मंदिर से बाहर निकलते है. मान्यता है कि रथ पर प्रभु के दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
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