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Jharkhand Coal Scam: कौन हैं दिलीप रे, जिसके लिए सीबीआइ ने मांगी उम्रकैद की सजा

Who is Dilip Ray, Jharkhand Coal scam, CBI Special Court: झारखंड के गिरिडीह स्थित ब्रह्माडीह कोयला खदान के आवंटन में अनियमितता मामले में अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में कोयला मंत्री रहे दिलीप रे की सजा के बिंदुओं पर बहस पूरी हो गयी है. कोर्ट 26 अक्टूबर, 2020 को फैसला सुनायेगी.

Who is Dilip Ray, Jharkhand Coal scam: रांची : झारखंड के गिरिडीह स्थित ब्रह्माडीह कोयला खदान के आवंटन में अनियमितता मामले में अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में कोयला मंत्री रहे दिलीप रे की सजा के बिंदुओं पर बहस पूरी हो गयी है. राउज एवेन्यू की सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट 26 अक्टूबर, 2020 को अपना फैसला सुनायेगी. एनडीए सरकार में मंत्री रहे दिलीप रे को इस मामले में कोर्ट पहले ही दोषी करार दे चुका है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने इस मामले के दोषी लोगों लिए उम्रकैद की मांग की है.

सीबीआइ के स्पेशल जज भरत पराशर ने पूर्व कोयला राज्यमंत्री दिलीप रे को 1999 में झारखंड के एक कोल ब्लॉक के आवंटन मामले में दिलीप रे को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी पाया. कोर्ट ने उनके साथ तत्कालीन कोयला मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम एवं सीटीएल के निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाद के अलावा कास्त्रोन माइनिंग लिमिटेड को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी करार दिया था.

बुधवार (14 अक्टूबर, 2020) को कोर्ट में सजा के बिंदुओं पर बहस हुई. स्पेशल जज ने फैसला 26 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया. ज्ञात हो कि वर्ष 1999 में झारखंड के गिरिडीह में ब्रह्माडीह कोल ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता से जुड़े मामले में दिलीप रे को दोषी मानते हुए विशेष अदालत ने कहा था कि उन्होंने गलत इरादे से कानूनी प्रावधानों की अनदेखी की.

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कोर्ट ने यह भी कहा कि मंत्री दिलीप रे ने धोखेबाजी से सीटीएल को कोयला खदान का आवंटन किया. विशेष जज ने कहा था कि तत्कालीन अधिकारियों ने भी कानून के दायरे से बाहर जाकर काम किया और अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नहीं किया. कोयला घोटाला मामले में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें अधिकतम उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.

कौन हैं दिलीप रे

दिलीप रे बीजू जनता दल (BJD) के संस्थापक सदस्यों में एक हैं. ओड़िशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख रहे बीजू पटनायक के काफी करीबी थे. दिलीप रे उन लोगों में शामिल हैं, जो बीजू पटनायक के अंतिम क्षणों में उनके साथ रहे थे. बाद में दिलीप रे ने बीजू जनता दल छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये.

वर्ष 2014 में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी, ओड़िशा के राउरकेला विधानसभा सीट से वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े. जीत भी गये. लेकिन, वर्ष 2019 में उनका भाजपा से भी मोहभंग हो गया. उन्होंने यह कहते हुए भाजपा छोड़ दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना वादा नहीं निभाया. राउरकेला के विकास के बारे में जो वादा पीएम ने किये थे, उसको पूरा नहीं किया.

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इसके बाद चर्चा थी कि दिलीप रे अपनी पुरानी पार्टी ओड़िशा की सत्तारूढ़ बीजू जनता दल में लौट जायेंगे. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. दिलीप रे ने राजनीति से ही किनारा कर लिया. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के कार्यकाल में जब कोयला आवंटन घोटाले की फाइल खुली, तो उसमें दिलीप रे का भी नाम सामने आये. कोर्ट ने उन्हें झारखंड के एक खदान के आवंटन में पक्षपात करने का दोषी पाया है.

Posted By : Mithilesh Jha

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