: बार काउंसिल ने दिया अंतिम अवसर, फार्म नहीं भरने पर स्वत: रद्द हो जायेगा वकालत का लाइसेंस
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-स्टेट बार काउंसिल ने नन प्रैक्टिशनर अधिवक्ताओं की सूची के साथ एसोसिएशनों को भेजा पत्र व सत्यापन फार्म.
वरीय संवाददाता
रांची. झारखंड के 7664 से अधिक अधिवक्ता अपनी लॉ डिग्री का सत्यापन कराये बिना वकालत के पेशे में हैं. वैसे अधिवक्ताओं ने सत्यापन के लिए झारखंड स्टेट बार काउंसिल को अब तक आवेदन भी नहीं दिया है. वर्ष 2015 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल-2015 के अनुसार सत्यापन किया जा रहा है. 10 वर्ष बीतने के बाद भी सत्यापन फार्म जमा नहीं करने पर स्टेट बार काउंसिल ने सख्त रूख अपनाते हुए वैसे सभी अधिवक्ताओं को नन प्रैक्टिशनर घोषित कर दिया है. पिछले दिनों काउंसिल की बैठक हुई, जिसमें नन प्रैक्टिशनर (फार्म नहीं भरनेवाले) घोषित अधिवक्ताओं को एक और अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया गया. वैसे अधिवक्ता दो हजार रुपये दंड के साथ सत्यापन के लिए फार्म भर सकते हैं. काउंसिल के निर्णय के आलोक में प्रभारी सचिव संतोष कुमार सिंह के हस्ताक्षर से संबंधित जिला व अनुमंडल बार एसोसिएशनों को पत्र के साथ नन प्रैक्टिशनर अधिवक्ताओं की सूची भेजी गयी है. इसमें कहा गया है कि पत्र निर्गत होने की तिथि से 10 दिनों के अंदर संबंधित नन प्रैक्टिशनर अधिवक्ता दो हजार रुपये के डिमांड ड्रॉफ्ट के साथ अपना सत्यापन फार्म जमा करेंगे. इसके बाद उन्हें कोई और अवसर काउंसिल की ओर से नहीं दिया जायेगा.
30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होनी है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में स्टेट बार काउंसिल की ओर से शपथ पत्र दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्णय लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी स्टेट बार काउंसिल को इस मामले में नोटिस किया है.
नन प्रैक्टिशनर घोषित अधिवक्ताओं को एक अंतिम अवसर दिया गया है. 10 दिनों के भीतर उन्हें सत्यापन फार्म भरना है. यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो फार्म नहीं भरनेवाले अधिवक्ताओं का अब वकालत का लाइसेंस स्वत: रद्द हो जायेगा. वे कहीं भी वकालत का प्रैक्टिस नहीं कर पायेंगे.
राजेंद्र कृष्ण, अध्यक्ष झारखंड स्टेट बार काउंसिल.
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