रांची : सलमान हत्याकांड को सपने में भी मुठभेड़ या दुर्घटना नहीं कहा जा सकता है. सिमरिया के तत्कालीन अनुमंडल अधिकारी मुमताज अहमद ने अपनी जांच रिपोर्ट में यही टिप्पणी की थी. इसके बावजूद पुलिस ने इसे दुर्घटना बताते हुए आरोप पत्र दायर किया. सीआइडी भी इसे दुर्घटना मान रही थी. सिर्फ इतना ही नहीं न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत ने जब सीबीआइ जांच की इच्छा जतायी, तो सरकार के अधिवक्ता ने अप्रत्यक्ष रूप से इसका विरोध किया. सीबीआइ जांच के बिंदु पर सरकार की ओर से यह कहा गया कि सीआइडी ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
पोस्टमार्टम में नजदीक से गोली मारने की पुष्टि हुई थीचतरा के उपायुक्त ने कानूनी प्रावधान के आलोक में सलमान हत्याकांड में मजिस्ट्रियल इंक्वायरी का आदेश दिया था. श्री अहमद ने जांच कर उपायुक्त को रिपोर्ट सौंपी. एसडीओ ने पुलिस के दावों को खारिज कर दिया था. उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में काफी नजदीक से गोली मारने की पुष्टि की गयी है. इसलिए यह मुठभेड़ की घटना नहीं हो सकती है.
दुर्घटनावश गोली चलने की बात भी सही नहीं है. क्योंकि गोली 5.56- इंसास राइफल से चली थी. इंसाफ राइफल से गोली चलाने से सिंगल फायर या ब्रस्ट फायर होता है. ब्रस्ट फायर में तीन गोलियां चलती हैं. इंसास राइफल के ट्रिगर को दबा कर गोली चलाने से पहले राइफल को कॉक करना पड़ता है. यह स्वत: नहीं हो सकता है.
इसलिए ‘दुर्घटनावश गोली चल गयी’ इस दावे को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है. एसडीओ ने पुलिस के दावों को दस्तावेज और तकनीकी बिंदुओं के आधार पर खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि इस घटना को सपने में भी मुठभेड़ या दुर्घटना नहीं कहा जा सकता है. इसके बावजूद पुलिस ने अपनी जांच में इसे दुर्घटनावश चली गोली से हुई मौत करार देते हुए रवि राम के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. एक माह में ही बदल गये जांच अफसरसलमान के पिता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सबसे पहले एएसआइ अशोक राम ने 24 जून को जांच शुरू की. लेकिन एक महीने बाद ही यानी 23 जुलाई 2017 को मनोरंजन प्रसाद सिंह को जांच की जिम्मेवारी दी गयी.
उन्होंने मजिस्ट्रियल इंक्वायरी में उठाये गये तकनीकी बिंदुओं को नजरअंदाज करते हुए सलमान को पकड़ने के क्रम में गलती से गोली चलने की बात लिखी. साथ ही इस मामले में सिर्फ रवि राम के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के लिए 22 सितंबर 2019 को आरोप पत्र दायर किया. पुलिस ने जिस दिन आरोप पत्र समर्पित किया उसी दिन सरकार ने इस मामले को सीआइडी के हवाले कर दिया.
तकनीकी तौर पर इसका कारण दो अलग- अलग जांच एजेंसियों द्वारा एक समान परिणाम बताये जाने के आधार पर हत्या की घटना को दुर्घटना साबित करने की कोशिश को बल देना था. हाइकोर्ट में सीआइडी ने भी शपथ पत्र दायर कर इसे दुर्घटना और गैर इरादतन हत्या का मामला बताया.
रवि राम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये गये तर्कों को अस्वीकार करते हुए न्यायाधीश आनंद सेन ने जब मामले की सीबीआइ जांच कराने की इच्छा जतायी तो सरकार के वकील ने यह कहा कि इस मामले की जांच सीआइडी ने शुरू कर दी है. यानी वह अप्रत्यक्ष रूप से सीबीआइ जांच के पक्ष में नहीं थे.