रांची. रांची में म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) के आवेदन को अस्वीकृत करने में औसतन सौ दिन से अधिक का समय राजस्व कर्मी लगा रहे हैं. वहीं, आवेदन को अस्वीकृत करने की कोई ठोस वजह भी नहीं है. नियमानुसार ऐसे मामलों को 30 दिन के अंदर निष्पादित कर देना है. मगर रांची जिला में ऐसा नहीं हो पा रहा है. प्रमंडलीय आयुक्त अंजनी कुमार मिश्र के अंचल कार्यालयों के निरीक्षण के दौरान यह तथ्य उभर कर सामने आया है. आयुक्त ने इस मामले में सुधार करने का निर्देश दिया है. कई मामलों में राजस्व कर्मचारियों ने बिना कोई आपत्ति प्राप्त किये ही स्वयं से ही प्रश्न उठाकर म्यूटेशन के आवेदन को अस्वीकृत कर दिया है.
इस तरह किया जाता है आवेदन अस्वीकृत
रातू अंचल की हल्का संख्या-दो में दाखिल-खारिज वाद संख्या -2483 के तहत स्वीकृत किया गया था. आवेदन प्राप्त होने की तिथि 23 सितंबर 2024 थी. 24 जनवरी 2025 को म्यूटेशन के आवेदन को अंचल पदाधिकारी ने खारिज कर दिया. इसका कारण बताया गया कि आवेदित भूमि का संबंधित दस्तावेज तकनीकी कारणों से नहीं खुल रहा है. इसके अलावा ऑनलाइन पंजी -2 में भूमि का रकबा आवेदित रकबा से कम होना भी कई आवेदन को निरस्त करने का आधार बना है. जबकि, नियम के मुताबिक पंजी-2 में सुधार करना अंचल कार्यालय का कार्य है. आयुक्त ने कहा कि आवेदन को अस्वीकृत किये जाने के मामले में भी अनावश्यक विलंब किया जा रहा है. म्यूटेशन के जो मामले निष्पादित किये जा सकते हैं, उसे भी काफी देर तक लटका कर रखा जा रहा है और बाद में बिना ठोस बजह के उसे निरस्त किया जा रहा है. यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. इसमें सुधार के लिए आयुक्त ने सीओ को अंचल निरीक्षक और राजस्व कर्मचारियों के साथ बैठक कर ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करने का आदेश दिया है.
बिना आपत्ति वाले मामले को 30 दिनों में निबटायें
आयुक्त ने अंचल कार्यालयों के निरीक्षण के बाद जारी आदेश में कहा है कि म्यूटेशन के वैसे मामले जिस पर कोई आपत्ति नहीं है, उसका निष्पादन 30 दिनों के अंदर और आपत्ति वाले मामलों का निष्पादन सुनवाई के उपरांत 90 दिनों के अंदर हो. बिना ठोस वजह के आवेदन के निष्पादन में अनावश्यक विलंब राजस्व कर्मचारियों की गलत मंशा को दर्शाता है.
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