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JSPCB ने सिंगल यूज प्लास्टिक खत्म करने को लेकर जारी किया नोटिस, प्लास्टिक कचरा है भविष्य के लिए खतरा

प्लास्टिक कचरा गांव से लेकर शहर तक के लिए सबसे बड़ी समस्या है. इसको देखते हुए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने के लिए नोटिस जारी किया है.

Jharkhand News: झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Jharkhand State Pollution Control Board- JSPCB) ने सभी निर्माताओं, स्टॉकिस्टों, खुदरा विक्रेताओं, दुकानदारों, स्ट्रीट वेंडरों और प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री के उपयोगकर्ताओं को 30 जून, 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic- SUP) को खत्म करने के लिए नोटिस जारी किया है. बता दें कि शहर से लेकर गांव तक प्लास्टिक कचरा भविष्य की सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है.

सिंगल यूज प्लास्टिक के कूड़े का भंडार जमा

जमीन ही नहीं पॉलिथीन से हवा भी प्रदूषित हो रही है. प्रदूषण के कारकों में प्लास्टिक कचरा प्रमुख वजह है, लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद यूनिवर्सिटी के नजदीक एक दीवार के पीछे प्लास्टिक कचरे का भंडार है. यह व्यवहार हमारी लापरवाही के निशान छोड़ जाती है क्योंकि कोई भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर बड़े लापरवाही से कहीं भी फेंक देते हैं. इसका परिणाम कूड़े का भंडार जमा हो जाता है. जिससे जलस्तर प्रभावित हो रहा है, वहीं जमीन बंजर और रासायनिक प्रयोग से मिट्टी पर विपरीत असर पड़ रही है. इस यूनिवर्सिटी के पास नजदीक में कोई कूड़ेदान भी नहीं रखा गया है.

पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक प्लास्टिक कचरे

बता दें कि प्लास्टिक से बने पदार्थ में सिंथेटिक पॉलीमर नामक एक पदार्थ पाया जाता है जो पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है. यह नन बायोडिग्रेडेबल होता है, जिसकी वजह से इसका निस्तारण काफी कठिन हो जाता है. प्लास्टिक पदार्थ बहुत हलके भी होते हैं. इस वजह से हवा के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह उड़ कर बिखर जाते हैं. यह केवल शहरों एवं कस्बों तक ही नहीं, बल्कि नदियों में भी चले जाते हैं. इस वजह से पानी तो खराब होती ही है उसके अंदर रहने वाले जीवों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है.

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अक्सर भोजन समझकर प्लास्टिक खा लेते हैं पशु

खुले जगह में प्लास्टिक कचरे फेंकने से पशुओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि कचरे की ढेर में गाय समेत कई पशु खाना तलाशती है. इस दौरान कई बार खाना समझकर प्लास्टिक उत्पाद खा लेते हैं. उससे उनका पाचन तंत्र या गले में प्लास्टिक फंसने के बाद दम घुटने की वजह से मृत्यु भी हो जाती है.

पर्यावरण दुष्प्रभाव में प्लास्टिक मुख्य वजह

हम सभी जानते हैं पेड़-पौधे पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं. वह जीवनदायी ऑक्सीजन के मुख्य स्रोत हैं जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव है. लेकिन, हमारी लापरवाही से प्रकृति पर बुरा असर दिख रहा है. क्योंकि कूड़ेदान के बाहर में प्लास्टिक उत्पाद छोड़ने से हवा की मदद से बिखर जाते हैं. जिससे भूमि प्रभावित होती और मिट्टी की उर्वरा शक्ति छीन जाती है. इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है.

इनपुट : हिमांशु कुमार देव.

Prabhat Khabar Digital Desk
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