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रिम्स डेंटल कॉलेज के लिए उपकरणों खरीद में भारी गड़बड़ी, टेंडर में भी डमी कंपनी का हुआ इस्तेमाल

विधानसभा में गुरुवार को सीएजी की तीन रिपोर्ट पेश की गयी. इसमें रिम्स डेंटल कॉलेज के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरणों की खरीद में हुई करोड़ों की गड़बड़ी का ब्योरा पेश किया गया है.

रांची : झारखंड विधानसभा में कल तीन की सीएजी रिपोर्ट पेश की गयी. इसमें पता चला है कि रिम्स डेंटल कॉलेज के उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई है. इसके अलावा ये भी जानकारी समाने आयी है कि उपकरणों की खरीद के लिए जारी किये गये टेंडर में डमी कंपनी का इस्तेमाल हुआ है.रिपोर्ट में राज्य के लोक उपक्रमों को 1354 करोड़ रुपये के नुकसान का उल्लेख है.

रिपोर्ट में दो अन्य मामलों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि व्यापारियों द्वारा वास्तविक आंकड़ों को छिपा कर सरकार को करोड़ों रुपये के नुकसान पहुंचाया गया है. राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान घाटे का सही लेखा-जोखा नहीं बताने की बात कही गयी है. ट्रेजरी से निकाले गये 6018.98 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं देने का उल्लेख है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2020-21 तक राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

रिम्स मामला :

टेंडर में डमी कंपनी का इस्तेमाल – रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉलेज में उपकरणों की खरीद के लिए जारी किये गये टेंडर में डमी कंपनी का इस्तेमाल हुआ है. टेंडर में शामिल मेसर्स श्रीनाथ और मेसर्स डीके नामक कंपनियों का नियंत्रण एक ही व्यक्ति के पास है. मेसर्स डीके द्वारा टेंडर में शामिल होने के लिए दिया गया निर्माता का प्राधिकरण पत्र या तो फर्जी था या इसमें हेरफेर किया गया था. टेंडर में मेसर्स डीके द्वारा हमेशा मेसर्स श्रीनाथ से ज्यादा रेट कोट किया जाता था. 239 प्रकार के उपकरण क्रय के लिए हुए टेंडर में भी ऐसा ही किया गया था.

इन उपकरणों में मेसर्स श्रीनाथ द्वारा कोट किया गया रेट मेसर्स डीके से कम लेकिन बाजार दर से अधिक था. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश के आलोक में इन दोनों कंपनियों से स्पष्टीकरण पूछा गया था. हालांकि सिर्फ मेसर्स श्रीनाथ ने ही जवाब दिया. इस कंपनी से खरीदे गये उपकरण मामले में आदेश के बावजूद जांच नहीं की गयी और 5.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.

सिर्फ इतना ही नहीं मंत्री के अनुमोदन के बिना ही इस कंपनी को 11.40 करोड़ रुपये का आदेश दिया गया और आपूर्ति के बदले भुगतान किया गया. सीएजी की रिपोर्ट में व्यापारियों द्वारा वास्तविक आंकड़ा छिपाने का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि 39 व्यापारियों ने अपने लेखा-जोखा का सही-सही ब्योरा नहीं दिया. इन व्यापारियों ने 3271.08 करोड़ रुपये का हिसाब छिपाया. सक्षम अधिकारियों द्वारा इसकी जांच नहीं करने से सरकार को 812.99 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

सरकार का राजस्व मद में बिक्री, व्यापार, वाहन, उत्पाद, भू-राजस्व और खनन क्षेत्र से संबंधित 12179.30 करोड़ रुपये बकाया है. रिपोर्ट मेें कहा गया है कि 31 मार्च 2021 तक के लेखा-जोखा के अनुसार राज्य के लोक उपक्रमों को 1354.20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार पर कुल कर्ज का बोझ 1.09 लाख करोड़ रुपये हो गया.

इसी वर्ष सरकार ने अपने लेखा-जोखा में 3113.86 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा और 14910.74 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा होने का उल्लेख किया था. हालांकि वास्तविक आंकड़ों के आधार पर 3302.04 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा और 15098.92 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा पाया गया. वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार के कुल खर्च का 83.30 प्रतिशत राजस्व मद का खर्च था. इस राजस्व खर्च का 42.98 प्रतिशत वेतन भत्ता, मजदूरी, पेंशन और सूद चुकाने पर खर्च हुआ.

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