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अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष पर बीएयू श्रीअन्न के उत्पादों को देगा बढ़ावा, आदेश जारी, ये है प्लानिंग

बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में मिलेट्स (मोटे अनाज) उत्पादों का सेवन किया जाता रहा है. 60 के दशक में देश की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति के लिए धान एवं गेहूं को बढ़ावा देने की वजह से मिलेट्स उत्पाद भारतीयों की थाली से दूर होते चले गए.

रांची. झारखंड के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीनस्थ सभी कैंटीन, छात्रावास, मेस, अतिथि गृह के अलावा खाद्य प्रदर्शनी, कृषि प्रदर्शनी एवं विभिन्न कार्यक्रमों में अब श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादों को आवश्यक रूप से शामिल किया जायेगा. कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के आदेशानुसार सबंधित आदेश को कुलपति के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ पीके सिंह ने शुक्रवार को जारी कर दिया है.

अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष श्री अन्न को दें बढ़ावा

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, सभी निदेशक, सभी सह अधिष्ठाता, कुलसचिव, नियंत्रक, सभी विभागों के अध्यक्ष/विभागाध्यक्ष को भेजे गये इस पत्र में अधीनस्थ सभी ईकाइयों में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादों को बढ़ावा देने और आवश्यक रूप से शामिल करने की बात कही गयी है. इसे अविलंब अमल में लाये जाने को कहा गया है. इस सबंध में बीएयू कुलपति को आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (शिक्षा योजना एवं गृह विज्ञान) ने एक पत्र भेजा था. जिसमें ‘श्री अन्न’ के उपयोग को कृषि विश्वविद्यालयों में बढ़ावा देने को कहा गया था. पत्र में कहा गया है कि विश्वभर में वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के राज्य मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के सभी संस्थानों तथा देश के कृषि विश्वविद्यालयों में ‘श्री अन्न’ के उपयोग को बढ़ावा देने का निर्देश महानिदेशक, आईसीएआर को भेजी है. इसी आलोक में देश के कृषि विश्वविद्यालयों में इसे लागू किया जाये.

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भारतीय थाली से दूर होते चले गए मोटे अनाज

बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि प्राचीन काल से ही भारत वर्ष में मिलेट्स उत्पादों का सेवन किया जाता रहा है. 60 के दशक में देश की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति हेतु धान एवं गेहूं को बढ़ावा देने की वजह से मिलेट्स उत्पाद भारतीयों की थाली से दूर होते चले गए जबकि आज भी भारत, दुनिया में मिलेट्स (मोटे अनाजों) का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत और विश्व स्तर पर कोविड-19 महामारी के दौरान पोषक तत्वों से युक्त भोजन की मांग में वृद्धि के कारण मोटे अनाजों और मोटे अनाजों के उत्पादों को बढ़ावा मिला है. मोटे अनाज के निर्यात में दुनिया का अग्रणी देश बनने की दिशा में भारत द्वारा अनेक कार्य योजनाओं पर पहल की जा रही है.

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मिलेट मिशन योजना की गयी है शुरू

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि हाल में भारत सरकार ने मोटे अनाज को ‘श्रीअन्न’ का नाम दिया है और इसे बढ़ावा देने के लिए श्रीअन्न योजना शुरूआत की है. राज्य सरकार ने भी मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन योजना शुरू की है. उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में, मोटे अनाजों को पोषक तत्वों के भंडार के रूप में एक उत्कृष्ट अनाज माना जाता है. मोटे अनाजों की सभी किस्मों में उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, ये ग्लूटेन मुक्त होते हैं तथा इनसे एलर्जी भी नहीं होती है. इसके पोषक गुणों की वजह से अब शहरी आबादी भी इसे पसंद करने लगी है. प्रदेश में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या है. ऐसी स्थिति में मिलेट्स उत्पादों को बढ़ावा लोगों की पोषण सुरक्षा का सस्ता और बेहतर विकल्प बन सकता है.

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