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International Day Of The Girl Child 2021: नेशनल आर्चरी चैंपियन झारखंड की दीप्ति कुमारी को कितना जानते हैं आप

नेशनल आर्चरी चैंपियन रांची की दीप्ति कुमारी ने बताया कि जिंदगी में कुछ पल ऐसे भी आये जब उनके पास टूर्नामेंट या प्रैक्टिस करने जाने के लिए किराये तक के पैसे नहीं थे. इस दौरान उनके कोच ने काफी मदद की.

International Day Of The Girl Child 2021, जमशेदपुर न्यूज (निसार) : झारखंड आर्चरी एसोसिएशन और टाटा स्टील की मेजबानी में जेआरडी में आयोजित एनटीपीसी 40वीं सीनियर नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप का खिताब जीत कर पूरे भारत में सनसनी फैलाने वाली दीप्ति कुमारी की कहानी काफी संघर्षपूर्ण है. राष्ट्रीय चैंपियन बनने वाली दीप्ति कुमारी के पिता पिकअप वैन के ड्राइवर हैं. वे रांची से सटे 40 किलोमीटर दूर जोन्हा से प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरों को अपनी गाड़ी में बैठाकर रांची लाते हैं और शाम को फिर वापस जोन्हा ले जाते हैं. दीप्ति की मां सोमती देवी गृहणी हैं. दीप्ति ने बताया कि जिंदगी में कुछ पल ऐसे भी आये जब उनके पास टूर्नामेंट या प्रैक्टिस करने जाने के लिए किराये तक के पैसे नहीं थे. कोच ने इस दौरान काफी मदद की.

दीप्ति ने 2012 में पहली बार आर्चरी का धनुष थामा था. 20 वर्षीया दीप्ति को उनके कोच रोहित कोइरी ने सिर्फ उनकी हाइट देखकर तीरंदाजी करने की सलाह दी थी. दीप्ति ने आर्चरी की ट्रेनिंग जोन्हा में स्थित बिरसामुंडा आर्चरी सेंटर से ली है. 2018 तक दीप्ति ने इंडियन राउंड में आर्चरी की और राज्य के लिए नेशनल लेवल में पदक भी हासिल किया. दीप्ति ने बताया कि जिंदगी में कुछ पल ऐसे भी आये जब उनके पास टूर्नामेंट या प्रैक्टिस करने जाने के लिए किराये तक के पैसे नहीं थे. कोच ने इस दौरान काफी मदद की. 2019 में खेल दिवस के दिन झारखंड के पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने उन्हें लगभग 2.5 लाख रुपये का रिकर्व धनुष दिया था. इसके बादा दीप्ति ने रिकर्व इवेंट का अभ्यास करना शुरू किया.

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रांची जिले के जोन्हा में जहां दीप्ति ट्रेनिंग करती हैं. वह बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है. झारखंड सरकार के खेल विभाग के अधीन आने वाले इस डे बोर्डिंग सेंटर में अभी भी उपकरण व टारगेट की काफी कमी है. जब यहां पर डे-बोर्डिंग शुरू हुआ था, तो सरकार ने दस टारगेट लगाये गये थे, लेकिन धी-धीरे सब टारगेट बेकार हो गये. नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने से पूर्व दीप्ति ने इसी ट्रेनिंग सेंटर में लगभग 10 दिनों तक अभ्यास किया और स्वर्ण पदक जीता. एक टारगेट पर पांच से सात की संख्या में तीरंदाज निशाना साधते हैं.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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