36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

कोरोना के बाद बढ़ने वाली मानसिक बीमारियों के बारे में कितना जानते हैं आप? देखें कौन-कौन से रोग बढ़े हैं

सिर्फ रांची के सीआईपी में एक लाख लोग इलाज कराने आये. हर दिन करीब 350 मरीज उनके अस्पताल में मानसिक रोगों का इलाज कराने आते हैं. अब तक जितने भी शोध सामने आये हैं, सभी में यही बात कही गयी है कि कोरोना संक्रमण के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

वैश्विक महामारी कोरोना ने करीब डेढ़ साल तक सब कुछ ठप कर दिया था. धीरे-धीरे दुनिया सामान्य तो हुई, लेकिन लोगों का जीवन पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाया. सदी की इस सबसे बड़ी महामारी ने कई तरह की मानसिक बीमारियों (Mental Illness) को जन्म दिया. मानसिक रूप से बीमार लोगों की समस्या और बढ़ा दी. एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोनावायरस के संक्रमण के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

कोरोना के बाद 20 से 30 फीसदी बढ़े मानसिक रोगी

जी हां. 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है. इसकी वजह से दबाव मानसिक आरोग्यशालाओं पर भी दबाव बढ़ा है. मानसिक रोगों के इलाज के लिए बने अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ़ी है. झारखंड की राजधानी रांची स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियैट्री (सीआईपी) के निदेशक प्रो डॉ बासुदेव दास ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद एक साल में करीब एक लाख लोग उनके यहां इलाज करने के लिए पहुंचे.

Also Read: Alert! सबसे बड़े नशे की गिरफ्त में युवा, अभी नहीं संभले तो होगी मुश्किल, सीआईपी रांची के डायरेक्टर की चेतावनी
सीआईपी में इलाज कराने आये करीब 1 लाख लोग

सही पढ़ा आपने. सिर्फ रांची स्थित सीआईपी में एक लाख लोग इलाज कराने के लिए आये. डॉ दास बताते हैं कि हर दिन करीब 350 मरीज उनके अस्पताल में अलग-अलग मानसिक रोगों का इलाज कराने के लिए आते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक जितने भी शोध सामने आये हैं, सभी में यही बात कही गयी है कि कोरोना संक्रमण के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

मानसिक रोग भी अन्य शारीरिक बीमारियों की तरह : डॉ दास

हालांकि, सीआईपी रांची के निदेशक लोगों को यह भी कहते हैं कि मानसिक रोगों को भी अन्य शारीरिक रोगों की तरह ही समझना चाहिए. इसका इलाज संभव है. कोई भी मानसिक रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है. फिर से सामान्य जीवन जी सकता है. इसके लिए सिर्फ उन्हें खुद पर और अपने डॉक्टर पर विश्वास करना होगा. उन्हें अपना इलाज कराने के लिए अस्पताल आना होगा.

Also Read: Internet Addiction: इंटरनेट एडिक्ट हो रहे हैं बच्चे, बचाने के लिए करने होंगे ये उपाय
पैसा खर्च करके भी ठीक नहीं हो पाते मरीज

डॉ दास कहते हैं कि जानकारी के अभाव में लोग या तो इलाज ही नहीं करवाते हैं या झाड़-फूंक, ओझा-गुणी के चक्कर में फंस जाते हैं. इससे उनका इलाज तो नहीं ही हो पाता है, अच्छी-खासी रकम भी खर्च कर लेते हैं. बावजूद इसके वे ठीक नहीं हो पाते. आखिरकार उन्हें डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है. तब मरीज और उनके परिजन की परेशानी तो बढ़ ही जाती है, उनका इलाज करने वाले डॉक्टर को भी उन्हें ठीक करने में थोड़ी दिक्कत होती है.

सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर इलनेस जैसी बीमारी बढ़ी

इसलिए जब भी पता चले कि आपको किसी प्रकार का मानसिक रोग हो रहा है या आप उसकी गिरफ्त में आ गये हैं, तो तुरंत किसी साइकियैट्रिक यानी मनोचिकित्सक के पास जायें. आप 100 फीसदी ठीक हो सकते हैं. यह पूछने पर कि कोरोना संक्रमण के बाद जिन बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है, वे कौन-कौन सी बीमारियां हैं, डॉ दास ने बताया कि तनाव, स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन के रोगी बढ़े हैं. बाइपोलर इलनेस, सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी भी बढ़ी है.

Also Read: मानसिक रोग क्यों छिपाते हैं लोग? इलाज में देरी से होते हैं कई नुकसान, बोले सीआईपी के निदेशक डॉ बासुदेव दास

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें