अधिकारियों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई नहीं करने का निर्देश रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने प्राथमिकी को चुनाैती देनेवाली क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. अदालत ने मामले में अंतरिम आदेश देते हुए बीएसएल के वरीय अधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी 64/2025 की जांच पर रोक लगा दी. अदालत ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वह बीएस सिटी थाना कांड संख्या- 64/2025 के तहत दर्ज प्राथमिकी की जांच आगे नहीं बढ़ायें. साथ ही प्रार्थियों के खिलाफ किसी प्रकार की पीड़क कार्रवाई नहीं की जाये. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा. यह प्राथमिकी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और उसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत के सिलसिले में दर्ज की गयी थी. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व अधिवक्ता विभाष सिन्हा ने अदालत को बताया कि घटना स्थल निषिद्ध क्षेत्र है और वहां पर कानून-व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी सर्किल ऑफिसर की है. उन्होंने यह भी बताया कि सर्किल ऑफिसर ने पहले से ही प्राथमिकी दर्ज करायी है, जिसमें यह दिखाया गया है कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो गये थे. इसी हिंसक रवैये के कारण लाठीचार्ज हुई और मौत हुई. प्रार्थियों ने यह भी तर्क दिया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी तरह की मंशा या आदेश देने का कोई सबूत नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी वीरेंद्र कुमार तिवारी ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर प्राथमिकी को चुनाैती दी है. यह प्राथमिकी बीएसएल के डायरेक्टर इन चार्ज व कार्यपालक निदेशक (पीएंडए)) के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गयी है. यह आरोप है कि कुछ लोगों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसमें शाम के समय सीआइएसएफ ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गयी थी.
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