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झारखंड में लगातार बढ़ रहा है हाथियों का तांडव, 11 साल में 800 लोगों की ले ली जान, इन जिलों में सबसे अधिक

एक सप्ताह पहले वन विभाग ने उसका लोकेशन गोला (रामगढ़) के आसपास पाया है. वन विभाग उस पर नजर रखे हुए है. असल में झारखंड में हाथियों से मौत एक समस्या है. हाथी भोजन की तलाश में सड़कों पर आ जाते हैं. लोग उसके पीछे लग जाते हैं. इस कारण कई लोगों की मौत हो जाती है. झारखंड में पिछले 11 साल में करीब 800 लोगों की हाथियों ने जान ली है. मरनेवाले परिवारों के बीच सरकार ने मुआवजा बांटा है. मुआवजे पर करीब 16.54 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. फसल नुकसान में इससे अधिक का मुआवजा बांटा गया है.

Jharkhand Elephant Attack रांची : अप्रैल से हाथी का एक बच्चा संताल परगना से लेकर उत्तरी छोटनागपुर में भटक रहा है. उसे समूह ने अलग कर दिया है. इस दौरान वह एक दर्जन से अधिक लोगों को मार चुका है. सबसे अधिक दुमका और देवघर जिले में उसने लोगों की जान ली है. इस दौरान उसने घरों को नुकसान पहुंचाया और फसलें भी रौंदी. संताल परगना से भटकता हुआ वह गिरिडीह के जंगल में आया था. वहां वन विभाग की टीम ने उसे समूह से मिलाने का प्रयास किया. लेकिन, कुछ दिनों बाद ही वह फिर अकेला हो गया.

एक सप्ताह पहले वन विभाग ने उसका लोकेशन गोला (रामगढ़) के आसपास पाया है. वन विभाग उस पर नजर रखे हुए है. असल में झारखंड में हाथियों से मौत एक समस्या है. हाथी भोजन की तलाश में सड़कों पर आ जाते हैं. लोग उसके पीछे लग जाते हैं. इस कारण कई लोगों की मौत हो जाती है. झारखंड में पिछले 11 साल में करीब 800 लोगों की हाथियों ने जान ली है. मरनेवाले परिवारों के बीच सरकार ने मुआवजा बांटा है. मुआवजे पर करीब 16.54 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. फसल नुकसान में इससे अधिक का मुआवजा बांटा गया है.

60 हाथियों की मौत हो चुकी है पिछले आठ साल में

पिछले आठ साल में झारखंड में विभिन्न कारणों से 60 हाथियों की मौत हो चुकी है. पांच हाथियों को तस्करों ने मार डाला है. वहीं आठ हाथी की मौत विभिन्न हादसों में हो गयी. ट्रेन दुर्घटना से झारखंड में आठ साल में चार हाथियों की मौत हुई है. बीमारी से पांच हाथियों की मौत हुई है. वहीं एक हाथी को विभाग के आदेश के बाद 2017-18 में मारा गया था. 14 हाथियों की अप्राकृतिक मौत हुई है. आठ हाथियों की मौत अधिक उम्र हो जाने के कारण हुई है.

क्या कहते हैं अधिकारी

झारखंड में मानव और हाथियों का टकराव आम बात है. जब कभी हाथी जंगल से बाहर आ जाता है, तो लोग उसे परेशान करने लगते हैं. इस कारण घटना घटती है. हाथी स्वयं किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है. संताल परगना में जो घटना घटी है, उसके पीछे भी यही कारण है. इस हाथी को जब झुंड ने अलग कर दिया, तो लोग इसके पीछे भागने लगे. गुस्से में उसने कई की जान ली. विभाग क्षतिपूर्ति देता है.

राजीव रंजन, मुख्य वन्य प्रतिपालक

सह पीसीसीएफ

क्या है मुआवजे का प्रावधान

मनुष्य की मृत्यु पर चार लाख

गंभीर रूप से घायल होने पर एक लाख

साधारण घायल होने पर 15 हजार

स्थायी रूप से अपंग होने पर दो लाख

पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकान 1.30 लाख

गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त मकान (पक्का) 40 हजार

साधारण रूप से क्षतिग्रस्त मकान (कच्चा) 20 हजार

भंडारित अनाज (प्रति क्विंटल) 1600 रुपये

(अधिकतम 8000)

भैंस, गाय व बैल की मृत्यु पर 15 से 30 हजार

बछड़ा-बाछी की मौत पर पांच हजार

फसल की क्षति पर 20 से 40 हजार

Posted By : Sameer Oraon

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