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कांग्रेस और भाजपा में चल रहा डिजिटल वार

कोरोना संकट के इस दौर में राजनीति की परिस्थिति, तौर-तरीके बदल गये है़ं पार्टियां में डिजिटल वार चल रहा है़ फेसबुक, ट्विटर को दलों ने हथियार बनाया है. कांग्रेस और भाजपा ने रविवार को फेसबुक माध्यम से ही एक-दूसरे के खिलाफ अभियान चलाया़ कांग्रेस ने राजस्थान में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को लेकर भाजपा को खिलाफ मोरचा खोला.

कोरोना ने बदली परिस्थिति. सोशल मीडिया में नेता-कार्यकर्ता चला रहे हैं बयानों के तीर

कोरोना संकट के इस दौर में राजनीति की परिस्थिति, तौर-तरीके बदल गये है़ं पार्टियां में डिजिटल वार चल रहा है़ फेसबुक, ट्विटर को दलों ने हथियार बनाया है. कांग्रेस और भाजपा ने रविवार को फेसबुक माध्यम से ही एक-दूसरे के खिलाफ अभियान चलाया़ कांग्रेस ने राजस्थान में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को लेकर भाजपा को खिलाफ मोरचा खोला.

कांग्रेस नेताओं ने सुबह सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर विरोध जताया है. इधर भाजपा नेताओं ने शाम को फेसबुक लाइव के माध्यम से राज्य सरकार के कोरोना संक्रमण अध्यादेश का विरोध किया़ प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास सहित कई नेता इस प्लेटफॉर्म पर आये.

संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही भाजपा

रांची : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह वित्त व खाद्य आपूर्ति डॉ रामेश्वर उरांव समेत पार्टी नेताओं ने रविवार को स्पीक अप फॉर डेमोक्रेसी कार्यक्रम के तहत सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार से संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने और लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन पर सवाल पूछे.

डॉ उरांव ने बरियातू स्थित अपने आवास पर स्पीक-अप फोर डेमोक्रेसी अभियान की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक परंपरा और प्रावधान के तहत पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर भी सबसे बड़ी पार्टी को ही राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं. गोवा में कांग्रेस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद राजभवन का दुरुपयोग कर निर्दलीय विधायकों की मदद से भाजपा की सरकार बनवायी गयी. इसी तरह से मणिपुर में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन सरकार निर्दलीय की मदद से भाजपा की बनी है. इसी तरह की कहानी अन्य राज्यों में भी दुहरायी गयी.

कर्नाटक में भी कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिरा कर बीजेपी की सरकार बनवायी गयी. मध्यप्रदेश में तो सारी हदें पार कर दी गयी. कांग्रेस के 21 विधायकों को तोड़ कर त्याग-पत्र दिलवा दिया गया और विधायक नहीं रहने के बावजूद 13 लोगों को मंत्री के रूप के रूप में शपथ दिला दी गयी. संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक इक्का-दुक्का विधायकों को ही बिना विधानमंडल का सदस्य रहे मंत्री बनाया जा सकता है, परंतु भाजपा ने इस संवैधानिक व्यवस्था का भी दुरुपयोग किया गया, लेकिन कांग्रेस प्रजातांत्रिक मूल्यों पर विश्वास रखती है.

डॉ उरांव ने कहा कि राजस्थान में भी भाजपा ने अनैतिक तरीके से सत्ता हथियाने की कोशिश शुरू की है, कुछ नेताओं को दिग्भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है और ईडी-सीबीआई समेत अन्य जांच एजेंसियों के साथ ही राजभवन जैसे संवैधानिक संस्थाओं का भी दुरुपयोग किया जा रहा है. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट द्वारा प्रस्ताव पारित कर फ्लोर टेस्ट के लिए विधानसभा सत्र आहूत करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया, लेकिन केंद्र के इशारे पर राजभवन को भी विवश किया जा रहा है.

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