37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

झारखंड में डेल्टा प्लस वेरिएंट का खतरा! एक माह से अटकी है जांच रिपोर्ट, कैसे बनेगी तीसरी लहर के लिए रणनीति..

झारखंड में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट का संक्रमण है या नहीं, इसे पता लगाने में राज्य सरकार का हाल बेहाल है. इसका कारण जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये करीब 249 सैंपल की रिपोर्ट का एक माह बाद भी नहीं मिलना है. ये सैंपल 12 जून से लेकर 21 जून तक भेजे गये हैं. ऐसे में तीसरी लहर को लेकर राज्य सरकार कैसे नयी रणनीति तय करेगी, यह बड़ा सवाल है.

झारखंड में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट का संक्रमण है या नहीं, इसे पता लगाने में राज्य सरकार का हाल बेहाल है. इसका कारण जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये करीब 249 सैंपल की रिपोर्ट का एक माह बाद भी नहीं मिलना है. ये सैंपल 12 जून से लेकर 21 जून तक भेजे गये हैं. ऐसे में तीसरी लहर को लेकर राज्य सरकार कैसे नयी रणनीति तय करेगी, यह बड़ा सवाल है.

बताते चलें कि रिम्स से 12 जून को 49 सैंपल भेजे गये थे, जिसमें 19 सैंपल कोरोना से मृत व्यक्तियों के हैं. वहीं एमजीएम जमशेदपुर से 83 सैंपल और इटकी यक्ष्मा आरोग्यशाला रांची से 20 सैंपल भेजे गये. दूसरी बार में 15 जून को हजारीबाग से 52 तथा 21 जून को पलामू से 25 व दुमका से 20 सैंपल भेजे गये हैं. लेकिन विभाग को अब तक जीनोम सिक्वेसिंग की जांच रिपोर्ट नहीं मिली है.

रिपोर्ट से ही पता चलेगा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट है या नहीं : हालांकि इसके पूर्व कराये गये जीनोम सिक्वेसिंग से झारखंड में कोरोना वायरस के कई प्रकार के वेरिएंट का पता चला. अप्रैल माह के सैंपल में झारखंड में सबसे अधिक डेल्टा वेरिएंट पाये गये थे.. हालांकि राज्य में सात प्रकार के वेरिएंट मिले थे. इनमें कप्पा, अल्फा व अन्य वेरिएंट भी थे.

सरकार द्वारा अप्रैल से लेकर नौ जून तक के 364 सैंपल जीनोम सीक्वेसिंग के लिए आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये थे. ये सैंपल रांची, जमशेदपुर, पलामू, हजारीबाग, धनबाद शहरों के थे. भुवनेश्वर में कराये गये जीनोम सिक्वेसिंग में 328 में वायरस के वेरिएंट पाये गये. इन 328 सैंपल में सबसे अधिक 204 में डेल्टा वेरियेंट पाये गये. वहीं 63 में कप्पा, 29 में अल्फा व 32 अन्य वेरियेंट थे.

हालांकि इनमें एक भी डेल्टा प्लस का वेरिएंट नहीं मिला था. इसके बाद सरकार ने नौ जून के बाद के सैंपल को भेजा, ताकि डेल्टा प्लस वेरिएंट का पता चल सके, पर अभी तक रिपोर्ट नहीं आयी है.

रणनीति बनाने में आती है परेशानी: विशेषज्ञ बताते हैं कि वेरिएंट का पता चलने से उसके अनुरूप इलाज का मॉडल अपनाया जाता है. अब तक राज्य में डेल्टा वेरिएंट तक का ही इलाज हो रहा है. यदि डेल्टा प्लस मिलता है, तो फिर उसके अनुरूप इलाज का मॉडल अपनाया जायेगा. साथ ही डेल्टा प्लस से निपटने के लिए रणनीति बनायी जायेगी.

कोरोना से जंग में अवरोध

  • सरकार को तीसरी लहर को लेकर रणनीति बनाने में हो रही परेशानी

  • जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये हैं 249 सैंपल

रिपोर्ट मिलते ही रणनीति पर काम शुरू: डॉ प्रवीण- राज्य के महामारी विशेषज्ञ डॉ प्रवीण कर्ण ने बताया कि लेटेस्ट वेरिएंट का पता करने के लिए सैंपल भुवनेश्वर लैब भेजे गये हैं. अभी रिपोर्ट नहीं आयी है. रिपोर्ट आते ही स्वास्थ्य विभाग रणनीति पर काम शुरू कर देगा. फिलहाल राहत की बात ये है कि अब तक जितने भी सैंपल के जीनोम सिक्वेसिंग कराये गये हैं, किसी में डेल्टा प्लस वेरिएंट नहीं मिला है. यह राहत की बात है.

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें