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कोरोना जांच के लिए बिहार में लग रहा 2500, पर झारखंड में 4500 वसूल रहीं हैं कंपनियां

कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकारों ने निजी जांच एजेंसियों काे भी सैंपल जांच का जिम्मा दिया है. लेकिन, खौफ और बेबसी के इस माहौल में भी ये निजी जांच एजेंसियां झारखंड में मुनाफे का खेल खेल रहीं हैं. यहां के लोगों को यह पता ही नहीं है कि जांच के नाम पर उनसे 2000 ज्यादा वसूले जा रहे हैं.

रांची : कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकारों ने निजी जांच एजेंसियों काे भी सैंपल जांच का जिम्मा दिया है. लेकिन, खौफ और बेबसी के इस माहौल में भी ये निजी जांच एजेंसियां झारखंड में मुनाफे का खेल खेल रहीं हैं. यहां के लोगों को यह पता ही नहीं है कि जांच के नाम पर उनसे 2000 ज्यादा वसूले जा रहे हैं. झारखंड में कोरोना जांच की सुविधा तीनों मेडिकल कॉलेजों रिम्स, एमजीएम और पीएमसीएच के अलावा इटकी स्थित आरोग्यशाला में मौजूद है. हालांकि, राज्य की आबादी के हिसाब से जांच की रफ्तार काफी धीमी है.

हालत यह है कि राज्य में अब तक 22,815 लोगाें की जांच ही हुई है. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने चार निजी जांच एजेंसियों – पैथ काइंड, डॉ लाल पैथ, एसआरएल और कोर डाइग्नोस्टिक को कोरोना के सैंपलों की जांच का जिम्मा सौंपा है. इधर, मौके की नजाकत को देखते हुए निजी जांच एजेंसियों ने मुनाफा कमाने का प्लॉट तैयार कर लिया. इन्होंने आइसीएमआर के निर्देशों का हवाला देते हुए झारखंड सरकार से जांच की दर 4500 रुपये निर्धारित करा ली. इधर, राज्य सरकार ने पड़ोसी या अन्य राज्यों से तुलना किये बिना ही इस दर को मंजूरी दे दी. जबकि, बिहार में उपरोक्त चार में दो एजेंसियां – पैथ काइंड और डॉ लाल पैथ 2500 रुपये में ही कोरोना की जांच कर रही हैं.

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