Jharkhand News, Ranchi News, Dumka News, रांची / दुमका : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने संताल परगना वासियों को बड़ा तोहफा दिया है. झारखंड हाईकोर्ट बेंच दुमका में गठित किये जाने संबंधी प्रस्ताव को सीएम ने स्वीकृति दे दी है. सीएम श्री सोरेन की इस स्वीकृति के बाद से संताल परगना प्रमंडल के लोगों की वर्षों पुरानी मांग आज पूरी हुई है.
दुमका में झारखंड हाईकोर्ट बेंच के गठन की सीएम हेमंत सोरेन की स्वीकृति से संताल परगना प्रमंडल के लोग काफी खुश हैं. वहीं, सत्तारूढ़ जेएमएम ने भी अपनी चुनाव घोषणा पत्र में वायदे को पूरा किया. मालूम हो कि झारखंड हाईकोर्ट का रांची जिला में प्रधान पीठ के अतिरिक्त राज्य के किसी भी जिले में कोई बेंच कार्यरत नहीं है.
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में दुमका जिला में हाईकोर्ट की बेंच गठित करने को लेकर भूमि चिह्नित करने का भवन निर्माण विभाग को निर्देश दिया गया था. इसके अलावा खंठपीठ के क्षेत्राधिकार निर्धारण को लेकर विधि विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय को पत्र भेजा गया था.
बता दें कि दुमका में झारखंड हाईकोर्ट बेंच स्थापित होने से संताल परगना प्रमंडल के 6 जिले दुमका, देवघर, साहेबगंज, गोड्डा, पाकुड़ और जामताड़ा के लोगों को अपने मामले की सुनवाई के लिए रांची आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वहीं, दुमका बार एसोसिएशन के सदस्य भी अब दुमका में ही हाईकोर्ट की खंडपीठ में मामले की सुनवाई कर सकेंगे.
पिछले 20 साल से दुमका में झारखंड हाईकोर्ट के बेंच की स्थापना की मांग की जा रही है. सोमवार को सीएम हेमंत सोरेन सरकार ने प्रस्ताव पारित कर एक कदम आगे बढ़ाया है. वहीं, सीएम श्री सोरेन अपने चुनावी वादे को पूरा किया है.
बता दें कि जब झारखंड का गठन हुआ था, तभी से सभी राजनीतिक पार्टी ने इसे अपना चुनावी मुद्दा बनाया था. जब वर्ष 2011 में यह मांग जोर पकड़ता गया और तत्कालीन सरकार के समय आयुक्त आवास के पास भूमि को अधिग्रहित भी किया गया. साथ ही उस समय वन विभाग को 70 लाख रुपये भी वन विभाग को दिया गया था.
प्रमंडल के 40 हजार केस हैं हाईकोर्ट में लंबित
संताल परगना प्रमंडल के करीब 40 हजार केस हाईकोर्ट में लंबित हैं. इनमें से अधिकत ऐसे केस हैं, जिनके पक्षकार रांची पहुंचकर अपने मुकदमें की पैरवी नहीं कर पाते. पूरे हाईकोर्ट में जितने मामले लंबित हैं, उनमें एक बड़ा आंकड़ा इसी इलाके का है. अब अगर सर्किट बेंच का मार्ग प्रशस्त होता है, तो प्रमंडल के गरीब, आदिवासियों को इसका लाभ मिलेगा.
इसके अलावा बहुत से ऐसे केस है जिनमें जिला अदालत द्वारा सजा मिलने के बाद वे पैसा के अभाव में रांची जाकर अपील कर सके. लिहाजा वे मजबूरीवश इसी फैसले को स्वीकार कर लिया करते थे. लेकिन, होईकोर्ट के बेंच स्थापित होने से उनके पास अपील का अवसर प्राप्त हो पायेगा और संवैधानिक मामला में भी सुनवाई हो पायेगी.
Posted By : Samir Ranjan.