: छह साल तक सिविल कोर्ट के पीपी रहे रांची . सिविल कोर्ट के लोक अभियोजक (पीपी) अनिल सिंह 35 साल की सेवा के बाद 30 जून को सेवानिवृत्त हो गये. वे 2019 में सिविल कोर्ट के पीपी बने थे. उन्होंने वर्ष 1990 में सहायक लोक अभियोजक के रूप में सेवा शुरू की थी. जब तक सिविल कोर्ट के नये पीपी की पोस्टिंग नहीं हो जाती. सहायक लोक अभियोजक सिद्धार्थ सिंह पीपी के प्रभार में रहेंगे. अनिल सिंह ने अपने कार्यकाल में सबसे महत्वपूर्ण घटना लॉ की छात्रा के गैंग रेप मामले में आरोपियों को सजा दिलायी थी. उनके विदाई समारोह में न्यायिक पदाधिकारी, गृह विभाग के अधिकारी, अभियोजन निदेशालय के अधिकारी, रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभु अग्रवाल सहित कई पदाधिकारी पहुंचे. उन्हें बुके व शॉल देकर सम्मानित किया.
ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए एसओपी बनाने का निर्देश
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने रांची शहर में ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाया जाना चाहिए. खंडपीठ ने राज्य सरकार को एसओपी बना कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 20 अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता खुशबू कटारूका व शुभम कटारुका ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लिया था. साथ ही झारखंड सिविल सोसाइटी व अन्य की ओर से भी अलग-अलग जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थियों ने याचिका में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण संबंधी नियमों का पालन कराने की मांग की है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को सभी जिलों में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए की गयी कार्रवाई के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था. 18 जिलों के उपायुक्तों द्वारा स्टेटस रिपोर्ट दायर किया गया था. पांच जिलाें से रिपोर्ट नहीं आयी थी. इस पर खंडपीठ ने आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

