राजेश झा @
रांची: सीबीएसइ बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को एक ही कक्षा और कोर्स के लिए कॉपियों व किताब की अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ रही है़ कीमत में अंतर भी कोई मामूली नहीं बल्कि 08 से 10 गुना है. निजी स्कूल एनसीइआरटी की किताबों से पढ़ाई नहीं करवा कर बच्चों को अपने पसंदीदा प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों से पढ़ाई करवा रहे हैं.
सीबीएसइ बोर्ड से मान्यता प्राप्त डीएवी ग्रुप और अन्य स्कूलों की किताबों की कीमतों में 10 गुणा का अंतर अभिभावकों को परेशान कर रहा है. उनका कहना है कि जब दोनों स्कूल एक ही बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं, तो फिर भी किताबों की कीमत में इतना अधिक अंतर क्यों. डीएवी ग्रुप के स्कूलों में एनसीइआरटी की पुस्तकों से बच्चों की पढ़ाई होती है, जबकि अन्य निजी स्कूलों में अलग-अलग प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई हो रही है.
किताबों की कीमत में ऐसे होता है अंतर
यदि किसी एक कक्षा में 10 पुस्तकों की पढ़ाई होती है, तो सभी किताब अलग-अलग प्रकाशकों की होती है. एनसीइअारटी की जिस किताब की कीमत 50 रुपये होती है, वहीं निजी प्रकाशक की उसी विषय की किताब की कीमत 250 रुपये तक की होती है. मालूम हो कि रांची के सीबीएसइ स्कूलों में हर वर्ष किताबें बदल जाती हैं. इसके पीछे का कारण कमीशन का खेल है. अभिभावकों का आर्थिक शोषण किया जाता है. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी राज्य सरकार और सक्षम ऑथिरिटी को नहीं है. अरबों रुपये की पुस्तक व कॉपी में कमीशन का खेल पूरे राज्य में चल रहा है. सिर्फ रांची में ही 90 से 100 करोड़ रुपये का व्यवसाय हो रहा है.
डीएवी ग्रुप में किताबों की कीमत
एलकेजी 305
केजी 175
वन 425
दो 450
तीन 555
चार 730
पांच 820
छह 790
सात 970
सभी कीमत रुपये में
निजी स्कूल में किताब-कॉपी की कीमत
स्कूल कक्षा कीमत
सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी दो 3200
डीपीएस सात 6500
शारदा ग्लोबल स्कूल एक 3700
केराली स्कूल पांच 5520
ब्रिजफोर्ड स्कूल सात 4900
ग्रीनलैंड पब्लिक स्कूल छह 5500
सरला-बिरला तीन 4200
टेंडर हार्ट स्कूल आठ 5700
बोर्ड का निर्देश भी नहीं मानते निजी स्कूल
निजी स्कूल सीबीएसइ बोर्ड के निर्देशों का भी पालन नहीं करते हैं. सीबीएसइ की गाइड लाइन के अनुसार बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में एनसीइआरटी की किताबों से पठन-पाठन का कार्य करना है, लेकिन स्कूलों में निजी लाभ के कारण हर वर्ष किताबें बदल दी जाती हैं. एनसीइआरटी के बदले निजी प्रकाशकों की किताबें चलायी जाती हैं. प्रकाशकों से लेकर बुक सेलरों तक सभी से कमीशन पहले ही फिक्स हाे जाता है. स्कूलों को जनवरी से ही ऑफर मिलने लगते हैं. जिन किताबों पर ज्यादा कमीशन मिलता है, उसी को कोर्स में शामिल किया जाता है. कक्षा एक से आठ तक के कोर्स में निजी प्रकाशन की हिंदी, गणित, विज्ञान, जेनरल नॉलेज, मोरल साइंस, कंप्यूटर आदि की किताबें शामिल कर लाखों रुपये के कमीशन का खेल खेला जाता है. कमीशन के इस खेल में 50 रुपये की किताब 200 रुपये तक में बेची जा रही है. यही वजह है कि रांची में स्कूली किताब का कारोबार 90 से 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस खेल की भरपाई अभिभावकों को करनी पड़ती है. एक कोर्स के लिए जेब से 3000 से लेकर 8000 रुपये तक चुकाना पड़ रहा है.
दुकानों में मिलती है लिस्ट
निजी स्कूलों में अभिभावकों से संबंधित दुकानों का सिर्फ नाम व जगह बताया जाता है. किताब दुकानों पर क्लास वाइज पैकेट बना होता है. स्कूल और क्लास बताते ही किताबें दे दी जाती है. दुकान में किताब लेने पर एकमुश्त राशि बतायी जाती है. सिर्फ किताब लेने पर दुकानदार द्वारा किताब नहीं दिया जाता है. मजबूरी में अभिभावकों को किताब लेनी पड़ती है. दुकानदार कक्षा प्रेप के लिए 3000 रुपये से लेकर कक्षा 8वीं तक की किताब-कॉपी के 8000 रुपये वसूलते हैं.
अभिभावकों की परेशानी देखिए
अधिकतर स्कूल हर सत्र में अभिभावकों को नये-नये पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए कहते हैं. ऐसा होने से अभिभावक चाहकर भी अपने बच्चों के लिए पिछले सत्र की पुरानी किताबों का उपयोग नहीं कर पाते हैं. हरमू के रहनेवाले मनोज कुमार के दो बच्चे शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल से पढ़ाई कर रहे हैं. एक क्लास टू और दूसरा क्लास थ्री में पढ़ाई कर रहा है. वे कहते हैं कि लग रहा था कि एक बेटे के लिए किताबें नहीं खरीदनी होगी. क्लास टू की किताबें काम आ जायेगी, लेकिन पब्लिशर्स बदल जाने से किताबें बेकार हो गयी.
यह है नियम
सीबीएसइ से संबद्ध स्कूलों में क्लास एक से 12वीं तक एनसीइआरटी का कैरिकुलम चलता है. बोर्ड ने स्कूलों को कक्षा एक से आठ तक इसी कैरिकुलम पर आधारित किताबों से पढ़ाई कराने का निर्देश दिया है. प्राइवेट पब्लिशर्स भी इसी कैरिकुलम को बेस बनाकर अलग-अलग किताबें छापते हैं, लेकिन यह किताबें एनसीइआरटी की पुस्तकों से महंगी होती हैं. इधर, स्कूलों का कहना है कि एनसीइआरटी की किताबें आसानी से उपलब्ध नहीं होती, इसलिए प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों से पढ़ाना पड़ता है. इधर अभिभावक सस्ती किताबें उपलब्ध होने के बावजूद महंगी किताबें खरीदने को विवश हैं.
ऑर्डर पर उपलब्ध हैं एनसीइआरटी की किताबें
सीबीएसइ की किताबें अब ऑनलाइन भी पढ़ सकते हैं. सभी किताबें सीबीएसइ की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. डाउनलोड और प्रिंट की भी सुविधा है. इससे आप बिना अधिक खर्च किये पढ़ाई कर सकते हैं. अन्य सहायक सामग्री भी ऑनलाइन कर दी गयी हैं. पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए बोर्ड ने किताबों को ऑनलाइन कर दिया है. हिंदी, अंग्रेजी, फिजिक्स, 11वीं और 12वीं के लिए मैथमैटिक्स, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, होम साइंस, कक्षा दो से सात तक फाइनेंशियल मार्केट के लिए सैंपल पेपर, वर्क एजुकेशन सामग्री भी ऑनलाइन की गयी है. साथ ही आप ऑर्डर देकर भी एनसीइआरटी की किताबें मंगवा सकते हैं.
सीबीएसइ करे मॉनिटरिंग : मनोहर लाल
सीबीएसइ के स्टेट को-ऑर्डिनेटर और गुरुनानक स्कूल के प्राचार्य मनोहर लाल ने कहा कि हर वर्ष स्कूल में किताबें बदलना गलत है. सीबीएसइ का निर्देश है कि सभी स्कूलों में एनसीइआरटी की किताबों से ही पढ़ाई होगी़ बहुत स्कूलों में सीनियर क्लास में एनसीइआरटी की किताबों से पढ़ाई होती है. जूनियर कक्षाओं में ऐसा क्यों नहीं होता है? इसके लिए वह कुछ भी बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं. उनकी निजी राय है कि इसके लिए सीबीएसइ को मॉनिटरिंग करनी चाहिए.
