झारखंड में गणना के काम में लगाये जानेवाले अधिकारियों को बुधवार को प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्रशिक्षण इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के विशेषज्ञ देंगे. इसमें अधिकारियों को आइ इस्टीमेट (आंख से आकलन) के साथ-साथ हाथियों के लीद (डंग) के आधार पर गणना के बारे में बताया जायेगा. झारखंड के मुख्य वन्य प्रतिपालक एलआर सिंह ने बताया कि हाथी दिन भर में 10 से अधिक बार डंग (लीद) करते हैं. डंग किस दिशा में किया गया, इससे हाथियों की संख्या का आकलन करने में मदद मिलेगी. इसका जीपीएस से भी आकलन किया जायेगा.
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आठ मई से होगी हाथियों की गिनती
रांची. झारखंड में आठ से 10 मई तक हाथियों की गणना होगी. झारखंड के साथ-साथ ओड़िशा, प बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी हाथियों की गणना होगी. भारत सरकार की ओर से पहली बार कुछ राज्यों को मिलाकर एक प्रक्षेत्र बनाने की कोशिश हुई है. इस प्रक्षेत्र में एक बार गणना की जायेगी. झारखंड में गणना […]
रांची. झारखंड में आठ से 10 मई तक हाथियों की गणना होगी. झारखंड के साथ-साथ ओड़िशा, प बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी हाथियों की गणना होगी. भारत सरकार की ओर से पहली बार कुछ राज्यों को मिलाकर एक प्रक्षेत्र बनाने की कोशिश हुई है. इस प्रक्षेत्र में एक बार गणना की जायेगी.
हर पांच साल पर गणना
पूरे देश में हाथियों की गणना हर पांच साल पर होती है. पिछली बार 2012 में गणना हुई थी. इसमें झारखंड में 688 हाथी पाये गये थे. इससे पूर्व 2007 में हुई गणना में हाथियों की संख्या 624 थी. पूरे देश में पिछली गणना में करीब 30700 हाथी पाये गये थे. गणना की वैज्ञानिक विधि जानने के लिए भुवनेश्वर में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इसमें झारखंड के भी कई वरीय वन अधिकारियों ने हिस्सा लिया था.
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