जांच में पाया गया कि बच्चे के फेफड़े की धमनी का ठीक तरह से निर्माण नहीं हो पाया था. इससे फेफड़े की धमनी में खून नहीं पहुंच पा रहा है. बच्चे का सेचुरेशन लेबल 15 से 20 प्रतिशत था. वहीं, शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही थी. इस बीमारी को ट्रेट्रोलाॅजी आॅफ फैलो (बच्चे का नीला हो जाना) कहा जाता है. इस बीमारी में हार्ट में छेद के साथ-साथ फेफड़े की नली अविकसित होती है. बच्चे का सांस फूलने लगती है और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है.
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तीन महीने के बच्चे की हुई सफल हार्ट सर्जरी
रांची: मेदांता अस्पताल में बगोदर निवासी तीन माह के अमित कुमार की सफल हार्ट सर्जरी की गयी. ऑपरेशन अस्पताल के कार्डियेक सर्जन डॉ संजय कुमार ने ‘बीटी शंट’ पद्धति से किया है. ऑपरेशन के दौरान बच्चे के फेफड़े में चार एमएम का ट्यूब जोड़ा गया है. फिलहाल बच्चे की स्थिति बेहतर है. उसे जल्द ही […]
रांची: मेदांता अस्पताल में बगोदर निवासी तीन माह के अमित कुमार की सफल हार्ट सर्जरी की गयी. ऑपरेशन अस्पताल के कार्डियेक सर्जन डॉ संजय कुमार ने ‘बीटी शंट’ पद्धति से किया है. ऑपरेशन के दौरान बच्चे के फेफड़े में चार एमएम का ट्यूब जोड़ा गया है. फिलहाल बच्चे की स्थिति बेहतर है. उसे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी. यह दावा भी किया जा रहा है कि यह राज्य में सबसे कम उम्र की हार्ट सर्जरी है.
शरीर को नहीं मिल रहा था अॉक्सीजन आैर शुद्ध खून : बच्चे के पिता किशोर कुमार और मां ललिता कुमारी जब उसे अस्पताल लेकर आये थे, तब उसका शरीर नीला पड़ चुका था. साथ ही उसे कई अन्य समस्याएं भी थीं.
प्रथम चरण का ऑपरेशन कर बच्चे के हृदय की धमनियों को दुरुस्त किया गया है. बच्चा जब एक साल का हो जायेगा, तो दूसरे चरण का ऑपरेशन किया जायेगा. उस दौरान फेफड़े की धमनी को हार्ट से जोड़ा जायेगा और दिल के छेद को बंद किया जायेगा. उसके बाद बच्चा सामान्य जीवन व्यतीत करेगा. झारखंड में यह सबसे कम उम्र के मरीज की हार्ट सर्जरी है.
डॉ संजय कुमार, कार्डियेक सर्जन
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