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ओके: लाखों रुपये की लकड़ी जब्त

ओके: लाखों रुपये की लकड़ी जब्तगुस्सा::: लकड़ी तस्करों के खिलाफ एकजुट हुए ग्रामीणफोटो 1 एवं 2– सुपा जंगल से काटे गये लकड़ी के बोटे।सुपा के जंगल से काटी गयी थी लकड़ी वन विभाग को सौंपाअनगड़ा. अनगड़ा के सुपा सुरक्षित वन क्षेत्र से काटे गये लाखों रुपये मूल्य की सखुआ की लकड़ी ग्रामीणों ने पकड़ कर […]

ओके: लाखों रुपये की लकड़ी जब्तगुस्सा::: लकड़ी तस्करों के खिलाफ एकजुट हुए ग्रामीणफोटो 1 एवं 2– सुपा जंगल से काटे गये लकड़ी के बोटे।सुपा के जंगल से काटी गयी थी लकड़ी वन विभाग को सौंपाअनगड़ा. अनगड़ा के सुपा सुरक्षित वन क्षेत्र से काटे गये लाखों रुपये मूल्य की सखुआ की लकड़ी ग्रामीणों ने पकड़ कर वन विभाग को सुपुर्द किया. ग्रामीणों ने बताया कि लकड़ी माफियाओं ने शनिवार की रात सुपा जंगल से सखुआ के चार पुराने पेड़ को बैटरी चलित आरी से काट दिया. रविवार को बोटा बना कर उसे ट्रक में लाद कर ले जा रहे थे. इसकी सूचना मिलने पर ग्रामीण एकजुट हुए व तस्करों का विरोध किया. तस्कर भी ग्रामीणों से उलझ गये, लेकिन ग्रामीणों की एकजुटता के कारण वे वहां से भाग निकले. तस्कर लादे गये बोटों को फेंक दिया और ट्रक अपने साथ ले गये. बाद में सूचना मिलने पर रेंजर आरके सिंह एवं वनपाल दिनेश प्रसाद साहू सुपा पहुंचे व लकड़ी के बोटों को जब्त किया. इस संबंध में वनपाल ने बताया कि ग्रामीणों ने तीन तस्करों के नाम बताये हैं. उनपर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी. जब्त लकड़ियों को सोमवार को अनगड़ा वन परिसर एवं महिलौंग रेंज कार्यालय ले जाया गया है. वनपाल ने बताया कि सखुआ का 20 व सिमल का 10 बोटा जब्त किया गया है, जिनका बाजार मूल्य करीब दो लाख रुपये है. इधर, ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की मिलीभगत से ही तस्कर पेड़ों को काट रहे हैं. लकड़ी की तस्करी में तस्कर बिना नंबर प्लेट के ट्रक का उपयोग करते हैं. पुलिस व वन अधिकारी अबतक उक्त ट्रक के मालिक को ढूंढ निकालने में विफल रहे हैं. पिछले छह माह के दौरान प्रखंड के विभिन्न हिस्सों से करीब 10 लाख रुपये मूल्य की लकड़ी ग्रामीणों ने जब्त कर वन विभाग को सौंप दी है. ग्रामीणों के अनुसार, अनगड़ा प्रखंड के हर भाग में लकड़ी व पत्थर माफियाओं का कब्जा है. प्रतिदिन दो-तीन ट्रक लकड़ी रात के अंधेरे में बेरोकटोक पश्चिम बंगाल के विभिन्न टिंबरों में भेजी जा रही है. मेढ़ा, जरगा, पैका, कोयनारडीह, हेसलाबेड़ा, हापतबेड़ा, बोंगईबेड़ा, चमघटी, बानपुर, डुमरगढ़ी, टोड़ांग, डुमरगढ़ी, कांशीडीह, टाटी, सिंगारी, कुच्चु, हुंडरू, रेचत, गुड़ीडीह, नवाडीह व डीमरा क्षेत्र में पूर्व में पुराने व बड़े वृक्षों की भरमार थी, लेकिन अब जंगल के नाम पर मात्र झाड़ियां ही बची है.

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