नामकुम: कृषि वैज्ञानिकों के प्रयास से देश में कृषि के क्षेत्र में सुधार आया है़ दो दशक पूर्व लाह की खेती व इससे जुड़े उद्योगों में गिरावट देखने को मिली थी, पर लाह उत्पादन के क्षेत्र में व्यापक सुधार भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान की ही देन है़ ये बातें सांसद रामटहल चौधरी ने कही. वे गुरुवार को नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान में आयोजित किसान मेला को संबोधित कर रहे थे.
सांसद श्री चौधरी ने रांची से सटे अन्य इलाकों में भी किसानों को लाह उत्पादन से जोड़ने की बात की़ मौके पर कांके विधायक डॉ जीतूचरण राम भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि आइआइएनआरजी द्वारा किसानों को लाह उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया जाना सकारात्मक कदम है. इससे न सिर्फ ग्रामीण स्तर पर रोजगार का सृजन होगा, बल्कि सुदूर क्षेत्रों में काम कर रहे किसान दूसरों को प्रशिक्षित भी कर सकेंग़े उन्होंने किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करायी. कार्यक्रम को इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के पूर्व निदेशक डॉ एन कृष्णमूर्ति व जिप सदस्य आरती कुजूर ने भी संबोधित किया़.
मेले में सम्मानित किये गये किसान
कार्यक्रम के दौरान लाह उत्पादन व इसके प्रसंस्करण से जुड़े लोगों को पुरस्कृत किया गया़ इनमें छत्तीसगढ़ के किसान महातेर दास, मध्य प्रदेश के धानसिंह तेमारे, खूंटी के नामजन टोपनो, रांची के सुबोध प्रसाद शामिल हैं. उत्कृष्ट लाह उद्यमी व उत्कृष्ट लाह उद्योग का पुरस्कार क्रमश: झालदा के अलोक कुमार महतो व मेसर्स नेशनल इंटरप्राइजेज को दिया गया. कार्यक्रम में तोरपा में किसानों खास कर महिलाओं को लाह उत्पादन से जोड़ने के लिए सिस्टर डेफनी एक्वेरा को भी सम्मानित किया गया़ कार्यक्रम में झारखंड सहित अन्य राज्यों से आये किसानों के अलावा कृषि वैज्ञानिक व अधिकारी मौजूद थे.
कई स्टॉल लगाये गये
मेले में बिरसा कृषि विवि, केंद्रीय तसर अनुसंधान संस्थान, हार्प, वन उत्पादकता संस्थान, ट्राइफेड, आइआइएनआरजी, भारतीय स्टेट बैंक सहित कई संस्थानों के स्टॉल किसानों के लिए लगाये गये थे.