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आसान तकनीक से निर्मित उत्पाद का करें उपयोग : सुधीर प्रसाद

आदिवासी, ग्रामीण भारत एवं भूमंडलीकरण में अभियांत्रिकी के महत्व पर गोष्ठी का आयोजनतसवीर कौशिक कीवरीय संवाददाता, रांचीएटीआइ के महानिदेशक सुधीर प्रसाद ने कहा कि राज्य के पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में पढ़नेवाले छात्र ग्रामीण परिवेश को देखते हुए आसान तकनीक से निर्मित उपकरण या उत्पाद बनायें. जनजातीय आबादी के विकास के लिए लिए आसान […]

आदिवासी, ग्रामीण भारत एवं भूमंडलीकरण में अभियांत्रिकी के महत्व पर गोष्ठी का आयोजनतसवीर कौशिक कीवरीय संवाददाता, रांचीएटीआइ के महानिदेशक सुधीर प्रसाद ने कहा कि राज्य के पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में पढ़नेवाले छात्र ग्रामीण परिवेश को देखते हुए आसान तकनीक से निर्मित उपकरण या उत्पाद बनायें. जनजातीय आबादी के विकास के लिए लिए आसान तकनीक से बने उत्पादों का उपयोग जरूरी है. श्री प्रसाद गुरुवार को सेंटर फार बायोइंफॉरमेटिक्स (पॉलिटेक्निक कालेज) की ओर से आयोजित आदिवासी ग्रामीण भारत एवं भूमंडलीकरण में अभियांत्रिकी का महत्व विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि तकनीकी संस्थानों को चाहिए कि वे कुल वार्षिक बजट का दो प्रतिशत नये और सृजनात्मक विकास के लिए आवंटित करें. कालेजों में बने नॉलेज क्लबों में इनोवेटिव आइडिया जेनरेट करें. तकनीकी छात्रों को चाहिए कि वे गांवों की मैपिंग करें. वहां की समस्याओं का अध्ययन कर, उससे निजात पाने की तकनीक विकसित करें. उन्होंने राज्य के पॉलिटेक्निक संस्थानों में खाली पड़ी सीटों को नहीं भरने से इंजीनियरिंग के नये संस्थान मृतप्राय हो जायेंगे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विज्ञान व प्रावैधिकी सचिव एल ख्यांग्ते ने कहा कि पॉलिटेक्निक संस्थानों को इंजीनियरिंग कॉलेज के समतुल्य बनाने की आवश्यकता है. कार्यक्रम के उद्देश्यों पर संस्थान की निदेशक डॉ रश्मि ने प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि गोष्ठी का उद्देश्य अभियंत्रण, शिक्षाविद, सामाजिक और भौतिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति निर्माताओं के बीच विकास का खाका तैयार करना है. दो दिवसीय गोष्ठी में कृषि आधारित चुनौतियों से निबटने के उपाय, सामुदायिक सूचना तंत्र, आदिवासी और पलायन, महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल समेत अन्य विषयों पर बीआइटी मेसरा, राजकीय पॉलिटेक्निक कोडरमा, अलबर्ट आइंसटाइन साइंस इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला. कम पानी से उत्पादकता बढ़ायेंएटीआइ महानिदेशक ने कहा कि जनजातीय इलाकों में कृषि उत्पादन को बढ़ाने, हाइब्रिड और उन्नत नस्ल के बीज से खेती को बढ़ावा देने, कम पानी से उत्पादकता बढ़ाने और तैयार फसल की छंटनी और उसकी पैकिंग के लिए तकनीक इजाद करें.

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