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रांची : कल्याण विभाग के विद्यालयों की और बेहतरी के लिए हो रहा अध्ययन, ओड़िशा व छत्तीसगढ़ गयी टीम

बदल रहे कल्याण विद्यालय होंगे और बेहतर रांची : कल्याण विभाग के 143 आवासीय तथा 23 दिवाकालीन विद्यालयों के बेहतर संचालन के लिए एक अध्ययन दल ओड़िशा व छत्तीसगढ़ गया है. विभाग के संयुक्त सचिव सीके सिंह के नेतृत्व में इस दल ने बुधवार को ओड़िशा के क्योंझर व अन्य जिलों में संचालित जनजातीय विद्यालयों […]

बदल रहे कल्याण विद्यालय होंगे और बेहतर
रांची : कल्याण विभाग के 143 आवासीय तथा 23 दिवाकालीन विद्यालयों के बेहतर संचालन के लिए एक अध्ययन दल ओड़िशा व छत्तीसगढ़ गया है.
विभाग के संयुक्त सचिव सीके सिंह के नेतृत्व में इस दल ने बुधवार को ओड़िशा के क्योंझर व अन्य जिलों में संचालित जनजातीय विद्यालयों को देखा. गुरुवार को दल छत्तीसगढ़ पहुंच गया. विभागीय अधिकारी वहां स्कूलों की संचालन समिति के साथ भी बैठक कर रहे हैं. दरअसल विभाग ने अपने एससी, एसटी व अोबीसी आवासीय विद्यालयों को अौर बेहतर बनाने के लिए यह दल भेजा है.
गौरतलब है कि पठन-पठन के क्षेत्र में बदनाम रहे कल्याण विभाग के आवासीय विद्यालयों के छात्रावास की हालत भी खस्ता थी, पर विभाग की वर्तमान टीम ने स्कूलों पर विशेष फोकस किया. बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम सहित अनुशासन बढ़ाने के लिए भी कई कार्य हुए हैं.
स्कूल व छात्रावास भवनों की मरम्मत का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. वहीं नये भवन भी बन रहे हैं. चिह्नित स्कूलों के प्राचार्य हर रोज मुख्यालय को अपने विद्यालय की गतिविधियों की तस्वीर भेजते हैं.
इसका परिणाम भी दिखने लगा है. स्कूल के विद्यार्थियों में न सिर्फ अात्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि पठन-पाठन का माहौल भी बदल गया है. विभिन्न बिंदुअों पर कार्रवाई कर यह उपलब्धि हासिल की गयी है. अब स्कूलों को अौर बेहतर करने के प्रयास के तहत दूसरे राज्यों के मॉडल को झारखंड में भी दोहराया जायेगा.
कल्याण विद्यालय व छात्रावास क्षमता
वर्ग कुल विद्यालय बालकों के बालिकाअों के छात्रावास क्षमता
अनुसूचित जाति (एससी) 23 16 7 4028
अनुसूचित जनजाति (एसटी) 107 77 30 18900
पिछड़ी जाति (बीसी) चार 0 चार 1520
आदिम जनजाति (पीटीजी) नौ पांच चार 900
दिवाकालीन विद्यालय 32 सह शिक्षा सह शिक्षा —
कुल 175 98 45 25508
(अनुसूचित जनजाति के विद्यालयों में सात एकलव्य तथा 11 आश्रम विद्यालय भी शामिल हैं)
इन कार्यों के जरिये सुधर रहे हालात
विद्यार्थियों को भोजन, पोशाक व पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए प्रति विद्यार्थी तय राशि आठ वर्षों बाद 14590 रुपये से बढ़ा कर 32410 रुपये की गयी.
10वीं व 12वीं में बेहतर प्रदर्शन वाले विद्यार्थियों को नकद राशि, मेडल व प्रमाण पत्र मिलने लगे.
सभी आवासीय विद्यालयों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम शुरू.
जहां आवास उपलब्ध है, वहां प्राचार्य, शिक्षक व छात्रावास अधीक्षक को स्कूल कैंपस में ही रहना अनिवार्य किया गया.
ड्रॉप आउट रोकने के लिए 65 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित (10वीं तक) किया गया.
पूर्व के सात के अलावा 14 आश्रम व एकलव्य विद्यालयों की स्वीकृति. इनमें से 11 का संचालन शुरू.
आश्रम व एकलव्य विद्यालयों को जैक के बदले सीबीएसइ से संबद्धता दिलाने की प्रक्रिया शुरू, चार विद्यालय को मिली.
पहली बार शिक्षक नियुक्ति, प्रोन्नति व सेवा नियमावली बनी.
शिक्षकों के सभी रिक्त पदों (करीब 500) पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू. अभी-सभी रिक्त पदों पर अस्थायी शिक्षक नियुक्त.
विद्यालयों को बेहतर पोशाक के साथ टाई तथा ब्लेजर (जाड़े में) देना शुरू. खेलकूद ड्रेस, स्लीपर व अंदरूनी वस्त्र भी.
पहली बार अंतर विद्यालय फुटबॉल टूर्नामेंट तथा बेहतर सौ खिलाड़ियों को टाटा फुटबॉल एकेडमी में प्रशिक्षण हुआ.
फिटजी में प्रशिक्षण के लिए 30 बच्चों का चयन. पहली बार अोएमआर शीट पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित.
Prabhat Khabar Digital Desk
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