उसे एक तख्ती पकड़ा दी जाती है, जिस पर अंग्रेजी में लिखा होता है- आई एम सॉरी, आइ हेव स्पोकेन इन हिंदी, नाउ आई विल टॉक इन इंग्लिश. छात्र को यह तख्ती लेकर पूरे स्कूल में घूमना होता है. इसके बाद उसे कक्षा में प्रवेश करने दिया जाता है. स्कूल में दी गयी इस तरह की सजा का असर मंगलवार को सामने आया. छात्र के अभिभावक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, हिंदी में बात करने पर मेरे पुत्र को प्राचार्य ने तख्ती लेकर घुमाया. इस कारण वह अब स्कूल जाने से मना कर रहा है.
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सेंट्रल एकेडमी का मामला, हिंदी में बात की, तो स्कूल में तख्ती लेकर घुमाया
रांची: रांची के एक स्कूल में हिंदी में बातचीत करने पर छात्र को तख्ती लेकर घूमने पर मजबूर किया जाता. उसे शर्मिंदगी उठानी पड़ती. मामला कांके स्थित सेंट्रल एकेडमी का है. इस सजा के बाद एक छात्र डिप्रेशन में चला गया है. बताया जाता है कि स्कूल में पढ़नेवाला कोई भी छात्र अपने सहपाठी के […]
रांची: रांची के एक स्कूल में हिंदी में बातचीत करने पर छात्र को तख्ती लेकर घूमने पर मजबूर किया जाता. उसे शर्मिंदगी उठानी पड़ती. मामला कांके स्थित सेंट्रल एकेडमी का है. इस सजा के बाद एक छात्र डिप्रेशन में चला गया है. बताया जाता है कि स्कूल में पढ़नेवाला कोई भी छात्र अपने सहपाठी के साथ हिंदी में बात करते पकड़ा जाता है, तो उसे सार्वजनिक रूप से सजा दी जाती है.
वह डिप्रेशन में चला गया है. पूर्व में भी इस तरह की शिकायत अलग-अलग विद्यार्थियों ने अपने-अपने अभिभावकों से की है. इस बाबत जब स्कूल के प्राचार्य से शिकायत की जाती है, तो कहा जाता है कि अपने बच्चे का टीसी ले लें. इस कारण अभिभावक शिकायत भी नहीं करते हैं
बच्चों को कहा गया है कि स्कूल में अंग्रेजी में बात करें. इसके बावजूद बच्चे हिंदी में बात करते हैं. इस तरह की सजा प्रतीकात्मक तौर पर दी जाती है, ताकि बच्चे अंग्रेजी में अपने सहपाठी के साथ बातचीत करें.
– जैकब थॉमस, प्राचार्य
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