यहां जन्म से 28 दिन के बच्चे एडमिट रहते हैं. वहीं 12 बच्चे पीआइसीयू में एडमिट थे. यहां 28 दिन से पांच वर्ष तक बच्चे एडमिट होते हैं. वहीं आठ बच्चे वार्ड में थे, जिनकी मृत्यु हुई. पूरे मामले की जांच निदेशक प्रमुख डॉ सुमंत मिश्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने की. हालांकि मुख्यमंत्री के आदेश पर विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने खुद भी जांच की.
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एमजीएम में बच्चों की मौत की वजह कुपोषण
रांची :एमजीएम जमशेदपुर में 30 दिनों में 60 बच्चों की हुई मौत के मामले में गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों की मौत चिकित्सकीय लापरवाही से नहीं हुई, बल्कि पहले से ही बच्चे गंभीर हालत में एडमिट कराये गये […]
रांची :एमजीएम जमशेदपुर में 30 दिनों में 60 बच्चों की हुई मौत के मामले में गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों की मौत चिकित्सकीय लापरवाही से नहीं हुई, बल्कि पहले से ही बच्चे गंभीर हालत में एडमिट कराये गये थे. कुल 60 बच्चों में 40 बच्चों की मौत एनआइसीयू में हुई.
जन्म के समय से ही कम वजन के थे बच्चे : कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसके मुताबिक एनआइसीयू में जितने बच्चे थे, वे लो बर्थ वेट (एलबीड्ब्ल्यू) थे. उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी. यानी जन्म के समय ही औसत से कम वजन के बच्चे थे. माना गया है कि जन्म के पूर्व माता ही कुपोषण की शिकार होंगी जिसके चलते बच्चे की भी यही स्थिति हुई. यह भी आशंका व्यक्त की गयी है कि माताओं ने गर्भावस्था के दौरान एंटी नेटल चेकअप (एएनसी) नहीं कराया हो. विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में कुपोषण एक वजह है. जिसके चलते बच्चे औसत से कम वजन के जन्म ले रहे हैं. यही वजह है कि बच्चों की मृत्यु हुई. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर श्री त्रिपाठी ने एमजीएम में जाकर खुद ही जांच की थी. उन्होंने कहा कि वहां सेमी न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की क्षमता बढ़ायी जायेगी. साथ ही एमजीएम के नये भवन में कुछ वार्ड खोले जायेंगे. वहीं सदर अस्पताल को भी सुदृढ़ किया जायेगा. घाटशिला में भी नियो नेटल वार्ड खोले जायेंगे. ताकि रूरल इलाके के बच्चों का वहीं इलाज हो सके. नर्सिंग, पारा मेडिकल स्टाफ एवं चिकित्सकों की कमी है, जिसे जल्द ही दूर कर लिया जायेगा.
पारिवारिक स्थिति की जांच होगी : अपर मुख्य सचिव ने कहा कि उन्होंने एमजीएम के अधीक्षक को कहा है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनकी पारिवारिक स्थिति का अध्ययन किया जाये. किन वजहों से माताओं ने गर्भावस्था के दौरान जांच नहीं करायीं. क्या परेशानी थी. एक-एक केस स्टडी करने का निर्देश दिया गया है ताकि आगे विभाग इस मामले में गंभीरता से कदम उठाये. गर्भवती माताओं को एएनसी के लिए विभाग की ओर से सभी अस्पतालों में सुविधाएं उपलब्ध हैं.
गुमला में रात में भी खुलेगा जांच केंद्र : अपर मुख्य सचिव ने गुमला जिले में भी हुई मौत के मामले की जांच की. उन्होंने कहा कि वहां रात में मरीज भर्ती के लिए आया था. पर जांच केद्र बंद था, जिसके कारण उसका समुचित इलाज नहीं हो सका. सुबह होते-होते उसकी मृत्यु हो गयी. उन्होंने कहा कि वहां जांच केंद्र मेडाल द्वारा संचालित है. रात में भी अब खोलने का आदेश दिया गया है. इमरजेंसी में जांच केंद्र के टेक्निशियन का नंबर भी लिखा जाये, ताकि रात में उसे बुलाया जा सके.
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