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PTR में हुई दो बाघों की एंट्री, बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था, कैमरे में ट्रैप हो रही पल-पल की एक्टिविटी

पलामू टाइगर रिजर्व में दो बाघों की एंट्री हुई है. दोनों बाघ अलगा-अलग हैं. इनकी एक-एक एक्टिविटी की ट्रैकिंग कैमरे के माध्यम से की जा रही है. वहीं पीटीआर प्रबंधन ने यहां की सुरक्षा भी बढ़ा दी है.

बेतला (लातेहार), संतोष कुमार : पलामू टाइगर रिजर्व के जंगलों में इन दोनों दो बाघों की इंट्री हुई है. अनुमान है कि झारखंड के पड़ोसी राज्यों से आकर दोनों बाघ पीटीआर में स्वतंत्र रूप से भ्रमण कर रहे हैं. दोनों बाघ जिस इलाके में देखे जा रहे हैं, उन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. सुरक्षा कारणों से बाघ देखे जाने वाले इलाके का खुलासा नहीं किया जा रहा है और उनके तस्वीरों को भी शेयर नहीं करने का निर्देश वरीय पदाधिकारियों के द्वारा दिया गया है. सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से मजबूत कर दी गई है. पीटीआर में पिछले नौ महीने में तीन बाघ देखा गया है. अलग-अलग जगहों पर तीन अलग-अलग बाघों के तस्वीरों के कैमरे में कैद होने के बाद पीटीआर प्रबंधन में खुशी देखी जा रही है. पीटीआर के डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने इसकी पुष्टि करते हुए, इसे इलाके के लिए शुभ संकेत बताया है. उन्होंने बताया है कि कैमरा ट्रैप में तस्वीर लेने के साथ-साथ उनके स्केट (मल) को भी जांच लिए भी वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून भेजा गया है.

इससे पहले मार्च में दिखा था एक बाघ

काफी लंबे अरसे के बाद इस साल मार्च महीने में एक बाघ देखा गया था, जिसे स्थानीय लोगों के अलावा पीटीआर के वरीय पदाधिकारियों ने भी देखा था, लेकिन बाद में वह छत्तीसगढ़ की तरफ वापस लौट गया. उसके बाद अब दो अलग-अलग जगहों पर दो बाघों की एंट्री हुई है. इन बाघों की एंट्री होते ही आसपास के इलाकों में मवेशी का शिकार उनके द्वारा किया जा रहा है, जिसके नाखून, पंजे के निशान (पग मार्क) स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं. वहीं, मवेशी मारे जाने वाले जगह पर कैमरा ट्रैप लगाये जाने पर उनकी तस्वीर भी कैद हो रही है. कैमरा ट्रैप में लिए गये तस्वीरों को खंगालने के बाद और विशेषज्ञों के द्वारा बाघों के शारीरिक बनावट को देखने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों बाघ अलग-अलग हैं. इतना ही नहीं जो बाघ मार्च महीने में देखा गया था, उनसे भी यह दोनों अलग हैं.

बाघों के रहने के लायक बनाया जा रहा है सर्वोत्तम वातावरण

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों का स्थायी प्रवास हो सके इसके लिए प्रबंधन विशेष रणनीति पर काम कर रहा है. ग्रास प्लॉट बनाने, पानी की व्यवस्था करने सहित सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने में प्रबंधन के द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. अधिकारियों की मानें तो वर्तमान समय में पीटीआर प्रबंधन का वातावरण बाघों के लिए पूरी तरह से अनुकूल बना दिया गया है और यही कारण है कि अचानक से बाघों का प्रवास इस इलाके में होने लगा है. अन्यथा पूर्व में बाघों का यहां पर स्थायी रूप से ठहराव नहीं देखने को मिलता था. बाघों के होने के बावजूद भी सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं होने से उनके बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हो पाती थी, लेकिन अब सभी बिंदुओं पर विशेष फोकस करके काम किया जा रहा है. बता दें कि 2018 में पीटीआर में बाघों की संख्या शून्य बता दी गयी थी, तभी से प्रबंधन ने प्रयास शुरू कर दिया है कि किसी भी तरह बाघों का स्थायी प्रवास हो सके.

क्या कहते हैं फील्ड डायरेक्टर

फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने कहा कि वर्तमान समय में दो बाघ अलग-अलग जगह पर दिखाई दे रहे हैं. वहीं एक बाघ मार्च महीने में भी दिखा था. इस तरह से अब तक पीटीआर में तीन बाघ होने की पुष्टि हो चुकी है, क्योंकि सभी बाघों के शारीरिक बनावट अलग-अलग है और कैमरा ट्रैप में लिए गये तस्वीरों के आधार पर भी इसकी पुष्टि हो चुकी है. हालांकि, इसकी और गहनता से जांच के लिए स्केट व पग मार्क को भी लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून भेजा गया है.

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