कुड़ू़ कुड़ू से सटे गोली गांव के समीप स्थित जतराटोंगरी में कार्तिक पूर्णिमा पर पूजन सह जतरा का आयोजन बुधवार रात और गुरुवार सुबह किया गया. बुधवार शाम से 12 घंटे का अखंड हरिकिर्तन शुरू हुआ, जो गुरुवार सुबह संपन्न हुआ. इसके बाद दोपहर में जतरा का आयोजन किया गया. कीर्तन सह जतरा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी थीं. आज भी रहस्मय बना है कुआं : जतराटोंगरी को रहस्यमय स्थल माना जाता है. बताया जाता है कि यहां चट्टानों के बीच बना एक कुआं कभी सूखता नहीं है और उसकी गहरायी आज तक कोई नहीं नाप सका है. पूजन स्थल पर मौजूद दो पत्थर भी प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद कभी हिले नहीं हैं. यह स्थल भगवान राम के वनवास काल से जुड़ा बताया जाता है : जतराटोंगरी के पुजारी गेंदा पहान के अनुसार, भगवान राम वनवास काल के दौरान यहां पहुंचे थे. माता सीता ने चट्टानों के बीच कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रसाद बनाने के लिए चूल्हा बनाया था. उसी चूल्हे रूपी कुएं से पानी निकल आया था, फिर भी आग जली और प्रसाद तैयार हुआ. आज भी उस कुएं में सालभर पानी भरा रहता है. किंवदंती के अनुसार, माता सीता ने पूजन स्थल पर रखे दोनों पत्थरों की पूजा की थी. तभी से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां भजन सह जतरा का आयोजन होता आ रहा है. आदिवासी खोड़हा समुदाय के लोगों को सम्मानित किया जायेगा : जतरा को सफल बनाने के लिए गांव में बैठक आयोजित की गयी, जिसमें गोली, कुंदो, जामुनटोली, जामड़ी, पिटराटोली, कुड़ू, रूद समेत कई गांवों के ग्रामीण शामिल हुए. बैठक में निर्णय लिया गया कि जतरा टोंगरी में शामिल होने वाले सभी आदिवासी खोड़हा समुदाय के लोगों को सम्मानित किया जायेगा.
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