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Lohardaga News: टमाटर की बेहतर पैदावार के बाद भी कर्ज में डूबे किसान, अन्य सब्जियों के भाव भी गिरे

लोहरदगा जिले के दर्जनों किसानों ने अच्छी आमदनी की उम्मीदों के साथ जमीन लीज में लेकर बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती हैं. और अपनी हाड़-तोड़ मेहनत और लगन के बलबूते उत्पादन तो अच्छा हुआ, परंतु अब फसल के दाम गिरने से खेती घाटे का सौदा हो रहा है.

Lohardaga News: कहते हैं कि सब्जी की खेती जुआ के सामान है. किसानों की किस्मत ने साथ दिया, तो खेती-बारी कर लाखों कमा लेते हैं. किस्मत ने दगा दिया, तो कभी अकाल तो कभी सुखाड़ या फिर अत्यधिक बारिश के कारण किसानों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. फिलहाल लोहरदगा जिले के बड़ी संख्या में किसान अपनी खेतों में कड़ी मेहनत कर टमाटर की फसल लगायी और समय-समय पर पटवन के साथ खाद्य व कीड़ों से बचाने के लिए रसायन का भी छिड़काव किया. बेहतर देखरेख व श्रम शक्ति के बाद इस वर्ष टमाटर का उत्पादन भी अन्य वर्षो की तुलना में बंपर हुई है.

टमाटर की अच्छी फसल होने के बावजूद भी टमाटर की खेती करने वाले किसानों के चेहरे में मायूसी छायी हुई है. टमाटर का अच्छा उत्पादन किसानों के लिए अभिशाप बन गया है. ज्यादा उत्पादन के कारण बाजारों में टमाटर के दाम काफी गिर गये हैं, जिससे उत्पादन लागत भी निकलना किसानों के लिए ढेढ़ी खीर साबित हो रही हैं. जिले में ऐसे कई किसान हैं, जो टमाटर की फसल द्वारा दिए गए पीड़ा झेल रहे हैं.

लोहरदगा जिले के दर्जनों किसानों ने अच्छी आमदनी की उम्मीदों के साथ जमीन लीज में लेकर बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती हैं. और अपनी हाड़-तोड़ मेहनत और लगन के बलबूते उत्पादन तो अच्छा हुआ, परंतु अब फसल के दाम गिरने से खेती घाटे का सौदा हो रहा है. मनोज साहू, अशोक साहू, सुंदर साहू, तथा विनोद कुमार साहू जैसे कई प्रभावित किसानों ने बताया कि टमाटर की खेती करने से एक लाख से अधिक लागत आयी हैं. और अभी तक मात्र पांच हजार का टमाटर बेच पाये हैं. स्थिति यही रही तो 10 से 15 हजार का और टमाटर बिकेगा. इस हालत में 80 हजार का घाटा होना तय हैं.

उन्होंने बताया की जिले में इस समय पांच-छह रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बिक रहा है. वे अपनी फसल राउरकेला के सब्जी मंडी में भेज रहे हैं. वहां 8-10 रूपये की दर से दाम मिल रहा है, परंतु टांसपोर्टिंग, पैकिंग आदि में तीन रुपए प्रति किलो की लागत खर्च आ जाता हैं. ऐसी स्थिति में मुनाफा तो दूर लागत मुल्य भी वसूलना मुश्किल हो गया हैं. कमोबेश ऐसी ही हालत जिले के अघिकांश अन्य छोटे-छोटे टमाटर उत्पादक किसानों की है.

क्या है मूल समस्या

जिले में फसलों के भंडारण के लिए उचित सुविधा नही हैं. कोल्ड स्टोरेज के अभाव में अच्छा उत्पादन होना किसानों के लिए नुकसान दायक हो जाता हैं. भंडारण की सुविधा नहीं रहने से किसान औने- पौने दाम पर अपनी फसल को बेचने पर मजबूर हैं. प्रगतिशील किसान दिलीप पांडे, नारायण उरांव, अखिलेश सिंह, सूरज महतो, बिंदेश्वर उरांव, शनि भगत जैसे अन्य कई प्रगतिशील किसानों का कहना है कि टमाटर के सीजन में दाम में कमी आती हैं. इस समय कोल्ड स्टोरेज में रखने के अलावा टोमेटो कैचअप तथा टोमेटो सॉस बनाकर टमाटर का अच्छा मूल्य प्राप्त किया जा सकता हैं, परंतु यहां फूड प्रोसेसिंग की भी व्यवस्था नही हैं.

जिले में नहीं है सब्जियों के भंडारण की व्यवस्था

टमाटर सहित अन्य फसलों में अच्छे उत्पादन के बावजूद किसानों को घाटे से बचाने के लिए उचित भंडारण की सुविधा होनी चाहिए. टोमेटो कैचअप तथा टोमेटो सॉस के प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए वर्षों पूर्व कृषि विभाग द्वारा सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था. इसके अलावा जिले में कोल्ड स्टोरेज स्थापना के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है, प्ररंतु अभी तक किसानों को कोल्ड स्टोरेज का लाभ नही मिल पा रहा है.

आलू, बंधागोभी और फूलगोभी के भाव भी लुढ़के

लोहरदगा जिला मे सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आने से किसान परेशान हैं, उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि जितनी लागत लगी थी, उसकी वापसी भी नहीं हो रही है. महाजनों से कर्ज लेकर खाद बीज की खरीदारी की गयी थी, लेकिन अब उधार चुकाने तक के पैसे नहीं हैं. मूंदो गांव के किसान दिलीप साहु का कहना है कि जब टमाटर की खेती प्रारंभ किए थे उस दौरान जिले में टमाटर 60 से 80 प्रति किलो की दर से बेचे जा रहे थे.

सब्जियों के भाव में आयी गिरावट

टमाटर का बेहतर मूल्य को देखते हुए अधिकांश भूमि में टमाटर की खेती किये. लेकिन टमाटर का बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. परेशानी बढ़ गयी है. लागत भी नहीं निकलेगा. लोहरदगा के बाजारों में टमाटर के अलावा अन्य सब्जियों के दामो में गिरावट आयी हैं. फिलहाल बाजार हॉटो में आलू नया दस रुपये किलो, बीन बीस रुपये किलो, पालक साग आठ रुपये किलो, हरी मिर्च पचास रुपये किलो, करैला चालीस रुपये किलो, बैगन बीस रुपये किलो, मुनगा बीस रुपये किलो, कटहल बीस रुपये किलो, कद्दू दस से बीस रुपये प्रति पीस, बंधा गोभी और फूल गोभी दस रुपये किलो की दर से बिक रहा है.

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