किस्को़ प्रखंड के हिसरी पंचायत अंतर्गत बड़चोरगाई में ग्रामीणों द्वारा की जा रही लाह की खेती का निरीक्षण झारखंड के 80 प्रशिक्षु वनरक्षी और फॉरेस्ट गार्ड की टीम ने किया. निरीक्षण के दौरान लाह की खेती के तरीके, उसके लाभ, वन संरक्षण और पर्यावरण संतुलन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गयी. प्रशिक्षुओं ने ग्रामीणों से बातचीत कर उन्हें वन अधिकार कानून, जंगल संरक्षण और जैव विविधता की अहमियत के बारे में बताया. टीम ने कहा कि वन अधिकार कानून ग्रामीण समुदायों को अपने वन संसाधनों पर अधिकार और जिम्मेदारी दोनों देता है. ग्रामीणों से वनों के संरक्षण में भागीदार बनने और वन्यजीवों की रक्षा करने की अपील की गयी. मौके पर बीज गेंद बनाने, पौधरोपण की तकनीक और लाह की खेती से होने वाले आर्थिक लाभ के बारे में जानकारी दी गयी. बताया गया कि लाह की खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का भी माध्यम बन रही है. प्रशिक्षु वनरक्षियों ने जंगल में आग लगने की घटनाओं से बचाव के उपायों पर भी चर्चा की. ग्रामीणों से अपील की कि आग लगने पर तुरंत वन विभाग को सूचना दें और जंगल की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभायें. साथ ही वन्य जीवों के शिकार और अवैध कटाई पर रोक लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. मौके पर ओम प्रकाश सिंह, शिवशंकर टाना भगत, रमेश उरांव, गोपाल उरांव, सूरज मुंडा, गुलाब भगत, अनूप उरांव, परमेंदर, शिखा, रीना, फैयाज, दिलीप, संतोष, सूरज उरांव, लीला सोनिका, तारामणि, उषा, पूनी सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

