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हरिजन कॉलोनी में मूलभूत सुविधा भी नहीं
सुनील रवि, भरनो करोड़ों खर्च के बाद भी योजना का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो रहा है. इसका उदाहरण भड़गांव हरिजन कॉलोनी है. भरनो प्रखंड के अंतर्गत आनेवाला यह कॉलोनी सरकारी उपेक्षा का दंश ङोल रहा है. वर्ष 1984-85 में राजीव गांधी के जमाने में कॉलोनी बसा. लेकिन इसके बाद किसी ने सुध नहीं […]
सुनील रवि, भरनो
करोड़ों खर्च के बाद भी योजना का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो रहा है. इसका उदाहरण भड़गांव हरिजन कॉलोनी है.
भरनो प्रखंड के अंतर्गत आनेवाला यह कॉलोनी सरकारी उपेक्षा का दंश ङोल रहा है. वर्ष 1984-85 में राजीव गांधी के जमाने में कॉलोनी बसा. लेकिन इसके बाद किसी ने सुध नहीं ली
नतीजा आज कॉलोनी का हरेक घर जजर्र है. कॉलोनी के एक भी परिवार को सरकारी सुविधाओं का लाभ नसीब नहीं है. कॉलोनी के हरिजन समुदाय को पेयजल, बिजली सहित अन्य सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती है. संबंधित क्षेत्र के हरिजनों को चयनित कर यहां बसाया गया. उस समय भड़गांव में भी हरिजन कॉलोनी बनाया गया. जहां सरकारी योजना के तहत 14 घर बना कर 28 परिवारों को बसाया गया. लेकिन वर्तमान में उक्त 14 घरों की स्थिति जजर्र हो चुकी है.
घरों की स्थिति ऐसी है कि जगह-जगह दीवारों में दरार है. कई लोगों के घरा के आधे छत उड़ चुके हैं. दिगंबर राम, गिरधारी राम, सूरज पासवान, दिनेश राम, रमेश राम, महावीर राम, बाबू लाल राम, विमल राम, गोपाल बैठा, दशरथ बैठा, बिंदे बैठा, रामेश्वर बैठा, विजय बैठा, सोमरा बैठा आदि लोग आज भी उसी जजर्र घरों में रहने को विवश हैं.
इन लोगों ने बताया कि सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं बना कर लोगों को लाभ दे रही है. लेकिन हम हरिजनों की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. जिस कारण आज भी हम किसी तरह जीवन -यापन करने को विवश हैं.
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