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झारखंड की ऐसी पंचायत जहां नहीं है एक भी सरकारी भवन, टेंट और बस पड़ाव में करानी पड़ी वोटिंग, जानें कारण

झारखंड में एक ऐसी पंचायत भी है, जहां ना तो कोई सरकारी भवन है और ना ही पंचायत सचिवालय. सरकारी भवन नहीं होने के कारण तीसरे चरण का चुनाव टेंट में अस्थायी तौर पर बने बूथों में हुआ है. इसके अलावा बस पड़ाव में भी वोटिंग हुई है.

Jharkhand Panchayat Chunav: झारखंड पंचायत चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग मंगलवार को खत्म हो गयी. इस चरण में भी शांतिपूर्ण मतदान हुआ. इसी दौरान धनबाद जिले के एक ऐसी पंचायत का पता चला, जहां आज तक ना तो पंचायत सचिवालय ही बन पाया और ना ही एक भी सरकारी भवन. तीसरे चरण का चुनाव टेंट में अस्थायी तौर पर बनाये गये बूथों और बस पड़ाव में कराया गया. इस प्रखंड में 64.48 फीसदी वोटिंग हुई है.

11 मतदान केंद्र टेंट में एक बस पड़ाव में बना

धनबाद जिला अंतर्गत एग्यारकुंड प्रखंड के शिवलीबाड़ी पूर्व पंचायत में एक भी सरकारी भवन नहीं है. इस कारण पंचायत चुनाव टेंट में कराना पड़ा. इस पंचायत में 12 में से 11 मतदान केंद्र टेंट में अस्थाई तौर पर एवं एक मतदान केंद्र मैथन मोड़ में बस पड़ाव में बनाया गया. अस्थाई मतदान केंद्र में मतदान कराने आये कर्मियों को काफी परेशानी का सामना कराना पड़ा, लेकिन चुनाव कराना था, इसलिए किसी प्रकार चुनाव संपन्न कराकर सभी कर्मी वापस चले गये.

शिवलीबाड़ी पूर्वी में नहीं है सरकारी जमीन

एग्यारकुंड प्रखंड के दौरे के क्रम में धनबाद डीसी संदीप सिंह भी शिवलीबाड़ी पूर्वी पंचायत के जीटी रोड किनारे बने अस्थाई मतदान केंद्र का जायजा लिया और कर्मियों से चुनाव की जानकारी प्राप्त की. आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इस पंचायत में आज तक पंचायत भवन तक नहीं बना है और न ही एक भी कोई सरकारी भवन है. इसका मुख्य कारण है कि सरकारी जमीन का अभाव इस पंचायत में है.

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पेयजल व स्वच्छता विभाग से सम्मानित, पर पंचायत सचिवालय नहीं

बता दें कि शिवलीबाड़ी पूर्व पंचायत में लगभग 4500 मतदाता हैं और आबादी लगभग आठ हजार है. इस पंचायत की दो बार मुखिया रह चुकी अफरोज जहां को पंचायत क्षेत्र पानी मद में बेहतर कलेक्शन को लेकर दो पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा सम्मानित किया जा चुका है और यह सम्मान तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा एवं रघुवर दास द्वारा दिया गया है. पूर्व मुखिया अफरोज जहां कहती हैं कि मुखिया बनने के बाद से पंचायत सचिवालय निर्माण को लेकर लगभग 20 पत्र बीडीओ, डीसी, विधायक, मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल को भेज चुकी है, लेकिन सरकारी जमीन नहीं रहने के अभाव में पंचायत सचिवालय का निर्माण नहीं हो सका. कहती हैं कि अपने दोनों कार्यकाल उन्होंने घर को ही कार्यालय बनाकर चलाया. वहीं, नये मुखिया के समक्ष भी पंचायत भवन का संकट सामने आएगा. पूर्वी पंचायत में आंगनबाड़ी के चार केंद्र हैं, लेकिन किसी का अपना भवन नहीं है. सभी केंद्र सेविका के घर पर चलते हैं.

रिपोर्ट : प्रवीण कुमार चौधरी, एग्यारकुंड, धनबाद.

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