जिस कंपनी से पिस्टल खरीदी गयी थी, उस कंपनी के पास केवल मैन्युफैक्चरिंग का लाइसेंस था. असेंबलिंग का लाइसेंस नहीं था
मामला उजागर होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उक्त कंपनी द्वारा तैयारी 0.45 लीवर की ग्लॉक पिस्टल को प्रतिबंधित कर दिया
Jamshedpur News :
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता के ग्लॉक पिस्टल (0.45 लीवर) मामले में नया तथ्य सामने आया है. उन्होंने कोलकाता की मेसर्स जे. विश्वास शस्त्र दुकान से दक्षिण भारत स्थित एक शस्त्र कंपनी से यह पिस्टल खरीदी थी. जांच में पता चला कि उस समय उक्त कंपनी के पास पिस्टल के केवल मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) का लाइसेंस था, लेकिन असेंबलिंग (घटकों को जोड़कर तैयार हथियार बनाने) का लाइसेंस नहीं था. कंपनी ने इसके बावजूद 0.45 लीवर ग्लॉक पिस्टल के पार्ट जोड़कर अवैध रूप से पिस्टल की बिक्री की. मामला उजागर होने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पिस्टल को प्रतिबंधित कर दिया. वहीं, गृह मंत्रालय ने वैध मैन्युफैक्चरिंग और असेंबलिंग वाले ग्लॉक पिस्टल को कानूनी रूप से वैध माना है और ऐसे हथियार को आर्म्स लाइसेंस में शामिल करने की अनुमति दी. विशेषज्ञों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग और असेंबलिंग दो अलग-अलग चरण हैं. मैन्युफैक्चरिंग में कच्चे माल को तैयार घटकों में बदला जाता है, जबकि असेंबलिंग में इन घटकों को जोड़कर कार्यशील हथियार तैयार किया जाता है. भारत में हथियार निर्माण और असेंबलिंग लाइसेंस प्रदान करने में सख्ती बरती जाती है और इसके लिए सभी शर्तों, नियमों और पारदर्शिता का पालन अनिवार्य होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

