35.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

World Disability Day: गुमला के दिव्यांग जनों में गजब का उत्साह, पॉजिटिव सोच ने दिलाए मुकाम

गुमला के दिव्यांगों में गजब का उत्साह देखने को मिला है. इन दिव्यांग जनों ने पॉजिटिव सोच के साथ अपने मुकाम हासिल किये हैं. प्रभात खबर ने कुछ दिव्यांग जनों से बात कर उनकी जीवनशैली, काम और जीवन में आ रही परेशानियों के बारे में जाना.

World Disability Day: क्या हुआ, मेरे पांव नहीं है. पर ऊंची उड़ान भरने का हौसला है. तन से दिव्यांग हैं. मन से नहीं. हम वो हैं, जो किसी पहचान के मोहताज नहीं. यह, शब्द उन दिव्यांगों पर सटीक बैठता है, जो अपने बूते अपनी पहचान बना रहे हैं. तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस है. ऐसे में गुमला जिले के कई ऐसे दिव्यांग हैं, जो अपने बूते आगे बढ़ रहे हैं. किसी पर बोझ नहीं बने हैं. प्रभात खबर ने गुमला के कुछ दिव्यांग जनों से बात की. उनकी जीवनशैली, काम और जीवन में आ रहे संघर्ष के बारे में बात की. प्रस्तुत है ऐसे ही दिव्यांग जनों की कहानी, जो अपनी अलग मुकाम बना रहे हैं.

गंदिरा ने हार नहीं मानी, खुद की दुकान खोली

गुमला प्रखंड के सावंरिया गांव के 30 वर्षीय गंदिरा उरांव पैर से दिव्यांग हैं. घर में वृद्ध माता-पिता हैं. जिनके जीने का सहारा गंदिरा है. पैर से दिव्यांग होने के कारण शुरुआती दिनों में गंदिरा को समझ नहीं आ रहा था कि उसका जीवन कैसे कटेगा. लेकिन, बाद में कुछ लोगों की राय लेने के बाद उन्होंने गांव में ही किराना दुकान खोल ली. आज किराना दुकान से अपने घर परिवार की जीविका चला रहे हैं. इतना ही नहीं, दूसरे दिव्यांग जनों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

जीने की राह चुनी हरेंद्र ने, मिला सबल अवार्ड

गुमला शहर के ज्योति संघ निवासी हरेंद्र कुमार दोनों पैर से दिव्यांग हैं. वे व्हीलचेयर में कहीं भी आना-जाना करते हैं. कंप्यूटर के जानकार हैं. सरकारी विभाग में दैनिक मानदेय पर काम करते थे. लेकिन, दिव्यांगता के कारण उन्हें काम छोड़ना पड़ा. अभी वे कुछ घरेलू काम कर लेते हैं. साथ ही जीवन में आगे बढ़ने व जीने के लिए नयी राह चुनी. वे मिशन बदलाव, गुमला से जुड़कर समाज सेवा का काम करते हैं. कोरोना काल में वे व्हीलचेयर से गरीबों के घर तक खाने-पीने का सामान पहुंचाने. हरेंद्र को सबल अवार्ड मिल चुका है.

Also Read: Albert Ekka’s Martyrdom Day: विकास को तड़प रहा शहीद का जारी ब्लाॅक, आज भी डुमरी से चलते हैं कई विभाग

सीएससी केंद्र चलाकर जीविका चला रहे आरिफ

गुमला प्रखंड से 10 किमी दूर टोटो निवासी मो आरिफ पैर से दिव्यांग हैं. वे अपने ट्राइसाइकिल से कहीं आते-जाते हैं. पैर से दिव्यांग और ऊपर से कोई रोजगार नहीं होने से वे मायूस थे. अंत में उन्होंने सीएससी सेंटर चलाने के लिए आवेदन किया. काफी प्रयास के बाद उसे सीएससी सेंटर मिला. लेकिन, अतिक्रमण में उसके दुकान को हटा दिया गया. फिर भी वे हार नहीं माने. अपने ट्राइसाइकिल को ही सीएससी केंद्र बना लिया. घर से बैंक तक वे ट्राइसाइकिल से ही लैपटॉप का सिस्टम लेकर जाते हैं और लोगों की जरूरत के कामों को कर रहे हैं.

जीतेंद्र का इलेक्ट्रिक दुकान से जीविका चल रहा है

घाघरा प्रखंड के जीतेंद्र लोहरा पैर से दिव्यांग हैं. 35 वर्ष उम्र हो गया है. कोई काम नहीं रहने से वे हताश थे. अंत में उन्होंने जीने की राह चुनी. उन्होंने घाघरा में इलेक्ट्रिक दुकान खोली. अब इसी दुकान के भरोसे उसके घर परिवार का जीविका चल रहा है. साथ ही वह मिशन बदलाव से जुड़कर दूसरे दिव्यांग जनों को आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करते हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर समाज सेवा में भी योगदान देते हैं. जीतेंद्र लोहरा ने कहा कि पैर नहीं है, लेकिन मेरा हौसला आज भी बुलंद है.

नेशनल एक्शन ट्रस्ट के सदस्य बनें छोटेलाल

गुमला के छोटेलाल महतो को प्रशासन ने नेशनल एक्शन ट्रस्ट का सदस्य बनाया है. नेशनल एक्शन ट्रस्ट-1999 के 13 उपबंध के तहत दिव्यांगजनों के लिए डीसी की अध्यक्षता में लोकल लेवल कमेटी का गठन किया गया. जिसमें छोटेलाल महतो उसमें शामिल किया गया है. छोटेलाल मिशन बदलाव का सदस्य है. महीनों पहले दिव्यांग लोगों की मांगों को लेकर उपायुक्त सुशांत गौरव को अवगत कराया गया था. जिसके बाद छोटेलाल को प्रशासन ने अपनी टीम में शामिल किया है.

Also Read: हेमंत सरकार के तीन साल की उपलब्धियों को गिनाने निकलेगी ‘खतियानी जोहार यात्रा’, लोगों से ली जाएगी राय

दिव्यांगजनों की समस्याएं, जिनका निराकरण जरूरी

– दिव्यांग विधेयक 2016 जमीनी स्तर पर लागू किया जाना चाहिए
– दिव्यांग का सरकारी व गैर सकरारी कंपनियों में आरक्षण दिया जाए
– स्वरोजगार के लिए सब्सिडी के माध्यम से लोन की व्यवस्था किया जाए
– हॉस्टल का निर्माण किया जाए, ताकि दिव्यांगजन उसमें रह सके
– सुविधा के लिए पंचायत स्तर पर दिव्यांगजनों के लिए कमेटी बनें
– सरकारी अनुदान या योजना है. वह जरूरतमंदों तक पहुंचानना जरूरी
– सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में दिव्यांगजनों को जोड़ा जाए
– बैंक तक पहुंचने पर दिव्यांगजनों के कामों को प्राथमिकता पर किया जाए
– रैंप की व्यवस्था हो. सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों का बैकलॉक भरती हो
– नर्सरी से मेडिकल, इंजीनियरिंग व सरकारी कॉलेज में नि:शुल्क शिक्षा मिले
– बसों में सीट आरक्षण सुनिश्चित हो. बस भाड़ा माफ किया जाना चाहिए
– दिव्यांगजनों का पांच लाख तक का इंश्योरेंस उपलब्ध कराने की जरूरत है.

दिव्यांग जनों को मिले सही लाभ : मिशन बदलाव

मिशन बदलाव के संयोजक जीतेश मिंज ने कहा कि दिव्यांग जनों के लिए जरूर कई सरकारी योजना है. लेकिन, उसका लाभ सही से नहीं मिल रहा है. प्रशासन को चाहिए कि शहर में दिव्यांग जनों के आश्रय लेने के लिए अलग भवन हो. बैठने की व्यवस्था हो. स्कूल, कॉलेज एवं बस में पैसा न लगे. शहर में दिव्यांग जनों के लिए विशेष टॉयलेट का निर्माण हो.

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें