One Year of Lockdown, Jharkhand News, Gumla News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर देशव्यापी लागू हुए लॉकडाउन के एक साल हो गये. इस एक साल में गुमला में भी कई ऐसी घटनाएं घटी जिसे लोग याद करना नहीं चाहते हैं. कई घटनाओं ने रुलाया, तो कई घटनाओं ने जीवन को बदल दिया. ये तीन घटनाएं. जिसे लोग याद करना नहीं चाहेंगे.
कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के उद्देश्य से लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बाद 29 मार्च, 2020 की घटना है. गुमला जिला अंतर्गत भरनो प्रखंड के लोंडरा तेतरटोली गांव की मेंजो देवी और उसके तीन बच्चों के जीने का सहारा छिन गया था. गरीबी के कारण मेंजो देवी अपने पति मंगरा उरांव के साथ राजस्थान के अलवर जिला में मजदूरी करने गयी थी. लेकिन, लॉकडाउन लगा तो वे फंस गये.
इसी बीच मेंजो के पति मंगरा बीमार हो गये. पैसों की तंगी से समय पर इलाज नहीं हो पाया और मंगरा की मौत हो गयी थी. मेंजो ने राजस्थान प्रशासन से पति के शव को गुमला भेजने की गुहार लगायी थी. लेकिन, प्रशासन ने शव को गांव लाने नहीं दिया. जिस कारण पत्नी ने राजस्थान में ही पति का अंतिम संस्कार की थी. पति की मौत के बाद मेंजो देवी अपने तीन बच्चों को बड़ी मुश्किल से पालन-पोषण कर रही है.
लॉकडाउन में कर्ज में डूबे कार पेंटर ने कर ली थी आत्महत्या
घटना 7 अप्रैल, 2020 की है. गुमला शहर के DSP रोड निवासी राजेश शर्मा बैंक से लिए लोन के कर्ज में डूबा था. ऊपर से लॉकडाउन में कमाई बंद हो गयी थी. पत्नी और दो बच्चों की परवरिश की चिंता थी. इसी चिंता में राजेश शर्मा ने गला रेतकर आत्महत्या कर लिया था. पति की मौत के बाद पत्नी गुड़िया देवी अपने दो बच्चों को लेकर दिल्ली चली गयी. जहां वह अपने एक रिश्तेदार के घर रह रही है. वहीं, वह काम कर अपने बच्चों की परवरिश कर रही है.
अफवाह में बोलबा की चली गयी थी जान, कई लोग घायल हुए थे
घटना 7 मई, 2020 की है. लॉकडाउन लगने के बाद सिसई प्रखंड में कोरोना वायरस फैलाने की अफवाह के बाद दो समुदाय आपस में भिड़ गये थे. जिसमें सिसई बस्ती निवासी बोलबा उरांव (55 वर्ष) की मौत हो गयी थी, जबकि 5 लोग घायल हो गये थे. इस घटना से पूरा राज्य हिल गया था. पुलिस लगातार गांव में कैंप कर रही थी. राज्य पुलिस की नींद उड़ गयी थी. सिसई प्रखंड का माहौल सामान्य होने में एक महीना लग गया था.
Posted By : Samir Ranjan.