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महिला किसान मंजू के समर्थन में ग्रामीण सरकार और प्रशासन से सुरक्षा की मांग

सिसई प्रखंड की शिवनाथपुर पंचायत स्थित डहूटोली गांव की महिला किसान मंजू उरांव (22 वर्ष) द्वारा ट्रैक्टर से खेत जोत कर खेती करने के बाद ग्रामीणों द्वारा जारी किये गये फरमान के विरोध में कई लोग सामने आये हैं.

सिसई प्रखंड की शिवनाथपुर पंचायत स्थित डहूटोली गांव की महिला किसान मंजू उरांव (22 वर्ष) द्वारा ट्रैक्टर से खेत जोत कर खेती करने के बाद ग्रामीणों द्वारा जारी किये गये फरमान के विरोध में कई लोग सामने आये हैं. गुरुवार को जिला परिषद की अध्यक्ष किरण बाड़ा व मुखिया फ्लोरेंस देवी डहूटोली गांव पहुंची. ग्रामीणों से बैठक की. उन्हें समझाया. अंधविश्वास से निकलने की अपील की.

पुरानी कुरीतियों से हट कर नये युग में बेहतर काम कर रही लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया. अध्यक्ष व मुखिया ने मंजू व उसके परिवार से भी मुलाकात की. प्रतिनिधियों ने कहा कि हमलोग आपके साथ हैं. बेटी मंजू को खेती करने दें. उन्हें नहीं रोकें. बहुत कम घर में ऐसी बेटियां पैदा होती हैं,जो अपनी अलग पहचान बनाती है. अध्यक्ष ने प्रशासन से मंजू उरांव की सुरक्षा व ग्रामीणों को जागरूक करने की अपील की.

मंजू उरांव की मदद करे सरकार : सालखन

सेगेंल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू आदिवासी युवती मंजू उरांव के समर्थन में हैं. उन्होंने कहा है कि प्रभात खबर में छपी खबर के अनुसार ट्रैक्टर से खेती करने के एवज में गांव वालों ने अंधविश्वास के आधार पर उनको ट्रैक्टर चलाने से मना किया है. जुर्माना लगाया और बात नहीं मानने पर सामाजिक बहिष्कार करने का एकतरफा तुगलकी फरमान जारी किया है. जो संविधान कानून के खिलाफ है. स्त्री पुरुष की बराबरी के दर्जे के खिलाफ है और बिल्कुल एक अंधविश्वास वाला फरमान है. यह फरमान गलत है.

आदिवासी सेंगेल अभियान जिला पुलिस, प्रशासन और प्रदेश की सरकार से अविलंब मंजू उरांव की सुरक्षा और न्याय प्रदान करने की मांग करती है. बल्कि उनको उनकी खेती और कृषि के विकास के लिए प्रोत्साहन और पूर्ण सहयोग भी सरकार को प्रदान करना चाहिए. अंधविश्वासीयों के ऊपर अविलंब कानूनी कार्रवाई की जाये.

अब बेटियां भी हल चला सकती हैं, खेत जोत सकती हैं

सांसद प्रतिनिधि भोला चौधरी ने कहा कि पुराने समय में बेटियों को बैल से हल जोतने पर मनाही थी. परंतु अब समय बदल गया है. बेटियां हर काम कर सकती हैं. खेती से अपनी पहचान भी बना सकती हैं. इसलिए गांव के लोगों ने जो फरमान जारी किया है. यह अंधविश्वास है. अब लोगों को पुरानी कुरीतियों से निकलने की जरूरत है. युवक सरोज कुमार महली ने कहा कि इस प्रकार के अंधविश्वास से बचना चाहिए.

गांव में बेटियों को बैल से हल जोतने पर मनाही रहती है. परंतु अब समय बदल रहा है. बेटियां सभी क्षेत्र में आगे आ रही हैं. इसलिए अगर मंजू को कोई खेती-बारी करने से रोकता है, तो यह गलत है. अपराध है. शिक्षक सुदेश सौरभ ने कहा कि उन पढ़े लिखे और अनपढ़ लोगों को यह बात सोचना चाहिए कि युवती के हल जोतने से कोई अकाल व आपदा नहीं पड़ रहा है. अगर बारिश नहीं हो रही है. तो यह पूरे विश्व की समस्या है. उस पर ध्यान देना चाहिए और इस समस्या के निदान में अपने विवेक और स्वार्थ क्रियाकलाप को नियंत्रित करना चाहिए.

एक स्वाभिमानी लड़की पर ऐसी बात नहीं होनी चाहिए. प्रकृति प्रेमी संतोष झा ने कहा कि आज जरूरत है सामाजिक प्रतिनिधि को आगे बढ़ कर इस बच्ची का हौसला अफजाई करने और उसे प्रोत्साहित करते हुए ग्रामीणों को बताना कि अंधविश्वास से दूर रहें. तभी सामाजिक प्रगति हो सकती है.

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