उपेशा का दंश झेल रही है डुमरी प्रखंड के सिधमा गांव की आदिम जनजाति
पीने के लिए पानी के जंगल से होकर बहने वाली नदी पर आश्रित हैं
बिजली की सुविधा के लिए गांव में बिजली खंभा लगा है, पर तार नहीं
डुमरी : डुमरी प्रखंड के सिधमा गांव में रहने वाले आदिम जनजाति समुदाय के लोग गांव में बुनियादी सुविधाओं की आस लगाये बैठे हैं. गांव में न तो पेयजल की सुविधा है और न ही चलने के लिए सड़क है. यहां के लोगों ने अब तक गांव में बिजली रानी के दर्शन तक नहीं किये हैं. वहीं जीविका की बात करें, तो गांव की समूची आबादी वनोत्पाद पर आश्रित है. गांव के महजु कोरवा, अर्जुन नगेसिया सहित अन्य लोगों ने बताया कि गांव में पेयजल, बिजली व सड़क की समस्या है.
गांव में पेयजल की सुविधा के लिए एक हजार लीटर की पानी टंकी लगायी गयी है, परंतु टंकी से गंदा पानी निकलता है. जो सिर्फ बर्तन और कपड़ा धोने का काम आता है. पीने के लिए पानी के लिए जंगल से होकर बहने वाली नदी पर आश्रित हैं. रोजाना दो से ढाई किमी तक की दूरी तय कर पीने का पानी लाते हैं. गांव में चलने के लिए सड़क है ही नहीं. बिजली के लिए गांव में बिजली खंभा लगाया गया है, पर खंभे में बिजली तार नहीं हैं. बिजली नहीं रहने के कारण रात में परेशानी होती है. गांव पहाड़ व जंगल के बीच में होने के कारण रात में जंगली जानवरों का भय बना रहता है. अभी बरसात का मौसम है.
बिजली के अभाव में इस मौसम में और भी ज्यादा परेशानी होती है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में शौचालय तो बना है, परंतु शौचालय में पानी की सुविधा नहीं है. गांव के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र है, जहां सिधमा, उखरगड़ा व लतापानी के बच्चे पढ़ाई करते हैं. परंतु उसे भी मनमाना तरीके से संचालित किया जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि शासन-प्रशासन की उपेक्षा का खामियाजा भुगत रहे हैं. गांव के लोगों ने गुमला डीसी से गांव में मूलभूत सुविधाएं बहाल करने की मांग की है.
