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मलेरिया, ब्रेन मलेरिया और कालाजार से बढ़ी स्वास्थ्य चिंताएं

मौसम में बदलाव और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से मरीजों की संख्या बढ़ी

गोड्डा जिले के विभिन्न प्रखंडों में मलेरिया, ब्रेन मलेरिया और कालाजार जैसी गंभीर बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इलाज की व्यवस्था मौजूद है, लेकिन कई जिम्मेदार कर्मचारी अपनी ड्यूटी से भाग रहे हैं और निजी संपर्कों के माध्यम से अन्य क्षेत्रों में प्रतिनियुक्ति करा चुके हैं. इस कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है और गरीब मरीज दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं. जानकारी के अनुसार, 13 नवंबर को गोड्डा सदर अस्पताल में इलाज के दौरान बोआरीजोर प्रखंड के कुसुमघाटी गांव के पकड़िया टोला निवासी दिलीप बेसरा की पुत्री रेशमा बेसरा की मौत ब्रेन मलेरिया से हो गयी. इस वर्ष महज दो माह में 40 से अधिक कालाजार और ब्रेन मलेरिया मरीजों तथा 122 मलेरिया मरीजों की पहचान की जा चुकी है. गोड्डा में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है. कभी ठंड का प्रकोप बढ़ जाता है तो कभी धूप की तेज़ी के साथ गर्मी बढ़ जाती है. मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें विशेष सावधानी की आवश्यकता है. स्कूल जाने वाले बच्चों में खांसी-जुकाम के लक्षण अधिक देखने को मिल रहे हैं, जबकि बुजुर्गों में सांस संबंधी रोग और जोड़ दर्द बढ़ गया है. गोड्डा सदर अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 250 से अधिक मरीज खांसी, सर्दी-जुकाम और सांस संबंधी बीमारियों का इलाज करवा रहे हैं. सदर अस्पताल में समय-समय पर कुछ बदलाव होते रहते हैं। वर्तमान में ओपीडी के समक्ष संचालित रजिस्ट्रेशन काउंटर और दवा केंद्र का स्थान बदलकर पुराने भवन में कर दिया गया है. इस कारण ओपीडी में आने वाले मरीजों को रजिस्ट्रेशन काउंटर ढूंढने में परेशानी हो रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि विभागीय कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और मरीजों तक समय पर इलाज पहुंचाने के लिए व्यवस्थाओं को सुचारू करना आवश्यक है.

क्या कहते हैं डीएस

मलेरिया, ब्रेन मलेरिया और कालाजार जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों का समुचित इलाज किया जाता है. इस मौसम के प्रभाव में आने वाले लोग चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें. डॉक्टरों से परामर्श लेकर मौसम के बदलाव से बचा जा सकता है. आज ओपीडी में 262 रोगियों का इलाज किया गया, जिनमें अधिकांश मौसमी बीमारियों से ग्रसित थे.

-डॉ. ताराशंकर झा, डीएस, सदर अस्पताल गोड्डाB

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