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एमपीसीएस के सशक्त होने से किसानों को मिलेगा सहयोग : डीसी

गोड्डा में 225 एमबीसीएस, व्यापार मंडल व एफपीओ निबंधित, आजीविका के खुलेंगे नये अवसर

तिलकामांझी कृषि महाविद्यालय, गोड्डा के सभागार में मंगलवार को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज जिला सहकारी संघ लिमिटेड के तत्वावधान में बहुउद्देशीय सहकारी समिति (एमपीसीएस) का सशक्तिकरण विषय पर एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यक्रम का शुभारंभ डीसी अंजली यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इसके पूर्व आदिवासी महिलाओं ने पारंपरिक नृत्य कर डीसी का स्वागत किया गया. वहीं मंच का संचालन सिद्धकोफेड के क्षेत्रीय प्रबंधक संजय कुमार ने किया. उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. एमपीसीएस के सशक्त होने से किसानों को उत्पादन से लेकर विपणन तक सहयोग मिलेगा और आजीविका के नये अवसर खुलेंगे. उन्होंने समितियों को तकनीकी नवाचार अपनाने, डिजिटल प्लेटफॉर्म और आधुनिक प्रबंधन प्रणाली से पारदर्शिता लाने की सलाह दी. साथ ही, दुग्ध उत्पादक समितियों की संख्या में बढोतरी करना और अधिक से अधिक कलस्टर बनाना, मत्स्य उत्पादन में बढोतरी के लिए नसे जल स्रोतों की पहचान कर नये समिति का गठन, ग्राहक सेवा केन्द्र को अधिक क्रियाशील बनाना, गोदामों का सही उपयोग करने तथा उथला या दलदली क्षेत्रों की पहचान करवाना, उत्पादन को बढावा देना आदि विषयों पर चर्चा की गयी. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि वैसे किसान जो योजनाओं का लाभ नहीं ले सकें है, वैसे लोग सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में आवेदन देकर योजनाओं का लाभ ले सकतें हैं. राज्य सहकारी संघ के निर्देशानुसार गोड्डा जिला के प्रत्येक प्रखंड में कृषि एवं वनोपज उत्पादों के व्यवसाय के लिए एक एमपीसीएस को एफपीओ के रूप में चिह्नित किया गया है. कार्यशाला के माध्यम से अवगत कराया गया कि जिले में सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज जिला सहकारी संघ का गठन 17 नवंबर 2021 को जिला अंतर्गत पैक्स/लैम्पस के सदस्यों के साथ किया गया था. वर्तमान में जिला सहकारी संघ में कुल 225 सदस्य हैं, जिनमें एमपीसीएस का संख्या 203 तथा व्यापार मंडल व एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) की संख्या 22 है. प्रत्येक एमपीसीएस में करीब 500 सदस्य हैं. उक्त कार्यशाला में गोड्डा जिला के मुख्य वनोत्पाद एवं कृषि उत्पाद से लोगों को अवगत कराया गया. इसमें महुआ फुल, लाह, इमली, करंज, कोदो, चिरौंजी, हर्रे, बहेड़ा, रेशम, आंवला, धान, सरसों, अरहर, मक्का, गेहूं आदि का उत्पादन,संकलन, प्रसंस्करण, भंडारण, श्रेणीकरण, परिवहन, वितरण, विपणन, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविणियों को सहकारी स्तर पर संगठित करना, क्रय विक्रय एवं वितरण की ऐसी व्यवस्था करना ताकि सदस्यों को समुचित लाभ मिल सके. मौके पर डीसीओ, पशुपालन पदाधिकारी, डीएओ, डीडीएम नाबार्ड, कृषि महाविद्यालय के डीन, कॉपरेटिव बैंक अध्यक्षा, बीसीओ, केवीके वैज्ञानिक समेत कई अधिकारी मौजूद थे.

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