गढ़वा के गंभीर रूप से बीमार बच्चों का स्थानीय स्तर पर हो सकेगा इलाज प्रभाष मिश्रा, गढ़वा गढ़वा सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था को रेफर-राज से मुक्ति दिलाने की दिशा में विभाग की ओर से निरंतर काम किया जा रहा है. सिविल सर्जन डॉ जान एफ केनेडी की पहल पर सदर अस्पताल की पुरानी छवि बदलने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है. इसी कड़ी में अगले महीने से अस्पताल में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू ) शुरू करने की तैयारी चल रही है. गढ़वा सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मरीजों को अक्सर बाहर रेफर करना पड़ता था, जिससे गरीब और दूर-दराज के मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरतों का आंकलन कर तेजी से काम किया जा रहा है. इसके तहत सदर अस्पताल में तीन बेड वाले डायलिसिस यूनिट को भी शुरू किया गया है. बर्न वार्ड की व्यवस्था बहाल की गयी है. लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (छोटे चीरे वाली सर्जरी) व आर्थोपेडिक सर्जरी (हड्डी रोग संबंधी ऑपरेशन) की भी सुविधा शुरू की गयी है. पीआइसीयू के बाद जल्द ही बहाल होगी जनरल आइसीयू की सुविधा सिविल सर्जन डॉ जान एफ केनेडी ने बताया कि अगले माह तक पीआइसीयू की व्यवस्था बहाल कर दी जायेगी. इसके बाद जल्द ही जनरल आइसीयू की व्यवस्था भी की जायेगी. सिविल सर्जन ने कहा कि हमारा पूरा फोकस स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर है, ताकि पूर्व में गढ़वा सदर अस्पताल के लेकर जो धारणा बनी है, उसमें बदलाव आये. पीआइसीयू में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को होता है इलाज गढ़वा सदर अस्पताल में पीआइसीयू की स्थापना एक गेमचेंजर साबित होगी. पीआइसीयू का पूरा नाम पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट है. इसमें गंभीर रूप से बीमार बच्चों, शिशुओं और नवजात शिशुओं के इलाज होता है. यह वयस्कों के आइसीयू से अलग होता है. इसमें बच्चों की शारीरिक जरूरतों और उनके इलाज के लिए विशेष उपकरण और प्रशिक्षित शिशु रोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहते हैं. स्थानीय स्तर पर बच्चों को मिलेगा जीवन रक्षक इलाज अब तक गंभीर रूप से बीमार बच्चों को उच्च इलाज के लिए रांची या अन्य बड़े शहरों में रेफर करना पड़ता था, जो यात्रा के दौरान उनके लिए खतरनाक होता था. पीआइसीयू शुरू होने से नाजुक स्थिति वाले बच्चों को स्थानीय स्तर पर तुरंत जीवन रक्षक इलाज मिल सकेगा. इससे बच्चों के गंभीर मामलों में रेफर करने की मजबूरी खत्म हो जायेगी, जिससे परिजनों को समय और पैसे दोनों की बचत होगी. यह सुविधा बच्चों को निरंतर निगरानी और विशेषज्ञ उपचार प्रदान करेगी, जिससे स्वास्थ्य में सुधार की दर बढ़ेगी.
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