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भोजन की सुविधा नहीं होने से प्रभावित हो रही प्रभावशीलता

गढ़वा के दो आश्रय गृह ठंड में दे रहे बेघर व गरीबों को सहारा

गढ़वा के दो आश्रय गृह ठंड में दे रहे बेघर व गरीबों को सहारा

जितेंद्र सिंह, गढ़वा

गरीब, असहाय, बेघर और जरूरतमंद लोगों को सुरक्षित एवं सम्मानजनक ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नगर विकास विभाग ने गढ़वा नगर परिषद क्षेत्र में दो आश्रय गृह स्थापित किये थे. इनका उद्घाटन 30 दिसंबर 2017 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने किया था. 1.32 करोड़ की लागत से बने इन दोनों आश्रय गृहों में 50-50 बेड की क्षमता है. साथ ही बेड, गद्दा, कंबल, मच्छरदानी, शुद्ध पेयजल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं. महिला आश्रय गृह गढ़वा प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित है, जहां वर्तमान में आठ महिलाएं रह रही हैं. वहीं मिनी बायपास सोनपुरवा स्थित पुरुष आश्रय गृह में 11 लोग रह रहे हैं. इन आश्रय गृहों का उद्देश्य जरूरतमंदों को अस्थायी छत देने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षा और सम्मानजनक वातावरण उपलब्ध कराना है. ठंड के मौसम में बेघर लोगों को गर्म बिस्तर और कंबल उपलब्ध कराना, देर रात फंसे यात्रियों को सुरक्षित ठहराव देना, मरीजों के परिजन और प्रवासी मजदूरों को रुकने की सुविधा देना इनकी प्रमुख उपयोगिता रही है. गढ़वा के ये आश्रय गृह सामाजिक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. यहां रहने वाले लोग सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन भोजन जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं होने से इनकी प्रभावशीलता प्रभावित हो रही है. यदि विभाग भोजन व्यवस्था सुनिश्चित करे तो अधिक संख्या में गरीब और असहाय लोग इनका लाभ उठा पायेंगे.

भोजन व्यवस्था नहीं, लोग लौट जाते हैं: सुनीता

महिला आश्रय गृह की प्रभारी सुनीता पांडेय ने बताया कि आश्रय गृह में रहने की सारी सुविधाएं निःशुल्क हैं, लेकिन भोजन की अधिकृत व्यवस्था नहीं होने से कई लोग एक-दो दिन रुकने के बाद वापस चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि भोजन की व्यवस्था की मांग को लेकर कई बार विभाग को पत्राचार किया गया, परंतु अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ. उनके अनुसार, यदि भोजन की सुविधा सुनिश्चित हो जाये तो अधिक जरूरतमंद लोग सहजता से यहां ठहर सकेंगे.

बेघर लोगों के लिए वरदान: पिंकी केसरी

नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष पिंकी केसरी ने कहा कि गढ़वा में संचालित ये आश्रय गृह वास्तव में उन लोगों के लिए बड़ा सहारा हैं जिनके पास रहने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं होता. शहर में बाहर से आने वाले लोग, यात्रियों और मजदूरों के लिए यह रात गुजारने का बेहतरीन विकल्प साबित हो रहा है. उन्होंने प्रशासन के इस प्रयास को समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया.

डेढ़ वर्ष से फंड नहीं मिला: इओ

गढ़वा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि आश्रय गृहों में केवल ठहरने की सुविधा है. भोजन की व्यवस्था कोरोना काल में स्थानीय स्तर पर करायी गयी थी. उन्होंने बताया कि प्रखंड कार्यालय परिसर में संचालित दाल-भात केंद्र में ठहरने वाले लोग 5 रुपये में भोजन कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नगर परिषद को पिछले डेढ़ वर्ष से कोई फंड नहीं मिला है. ईओ ने बताया कि वे समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं, ताकि किसी भी प्रकार की कमी न रहे.

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