पटमदा. गर्मी बढ़ते ही पटमदा व बोड़ाम के बाजारों में मिट्टी के घड़ों की मांग बढ़ती जा रही है. पटमदा साप्ताहिक हाट में सोमवार, बोड़ाम हाट में बुधवार व गोबरघुसी में गुरुवार को मिट्टी की बर्तन खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लग रही है चिलचिलाती धूप में लोग बाजार पहुंचकर मिट्टी के बर्तनों की खरीददारी कर रहे हैं. धूप की तपिश से राहत पाने और शुद्ध ठंडा पानी पीने के लिए लोग मिट्टी की हांडी और सुराही खरीद रहे हैं. बरुण दत्त, पिंटू सिंह, अरुण माझी ने बताया कि मटके का पानी न केवल प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है. इसे सिर्फ स्वच्छ रखने की जरूरत है. इस कारण से आज भी गांव में देसी फ्रिज हंडी की लोकप्रियता बनी हुई है. जिन क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति अनियमित है. उस क्षेत्र के लोगों के लिए मिट्टी का बर्तन वरदान साबित हो रहा है.
पहले की तुलना में मुनाफा कम हो रही
पटमदा के जोड़सा, बिरखाम , गोपालपुर, लावा व राखडीह तथा बोड़ाम प्रखंड के सुसनी, कुइयानी, रूपसान आदि गांव के कुम्हार इस व्यवसाय से वर्षों से जुड़े हैं. जोड़सा के कुम्हार दलगोविंद कुंभकार, श्रवण कुंभकार, हेमचंद्र कुंभकार, हराधन कुंभकार का कहना है कि वे वर्षों से इस काम में लगे हैं. अब महंगाई के कारण पहले की तुलना में मुनाफा कम हो गया है. जिस हिसाब से मिट्टी के बर्तन बनाने में मेहनत लगती है, उस हिसाब से कारीगरों को मुनाफा नहीं मिलता है. बताया कि दीपावली एवं टुसू पर्व में मिट्टी के बर्तनों का डिमांड बढ़ जाता है. महंगाई की दौर में मिट्टी की बर्तन बेचकर परिवार चलना काफी मुश्किल हो गया है. युवा पढ़ लिखकर पुश्तैनी कार्य से दूर भाग रहे हैं. हालांकि सीजन के हिसाब से बिक्री थोड़ी बढ़ जाती है. इससे उन्हें कुछ राहत मिलती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है