गालूडीह : विलुप्त होती आदिम जनजाति के सबरों के नाम बंदोबस्त जमीन पर दबंगों का कब्जा है. अपने नाम पर बंदोबस्त जमीन पर सबर खेती नहीं कर पा रहे हैं. अधिकांश सबरों को यह भी पता नहीं है कि उनके नाम पर बंदोबस्त जमीन कहां और किसके कब्जे में है. घाटशिला प्रखंड के केशरपुर, हलुदबनी, खडि़याडीह, बागालगोड़ा, दारीसाई, घुटिया समेत सभी सबर बस्ती में रहने वाले सबरों के साथ कमोवेश एक जैसी स्थिति है. खरीफ में धान की खेती से सबर वंचित हैं. अपनी जमीन रहते सबर दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को विवश हैं.
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सबरों की बंदोबस्त भूमि पर दबंगों का कब्जा
गालूडीह : विलुप्त होती आदिम जनजाति के सबरों के नाम बंदोबस्त जमीन पर दबंगों का कब्जा है. अपने नाम पर बंदोबस्त जमीन पर सबर खेती नहीं कर पा रहे हैं. अधिकांश सबरों को यह भी पता नहीं है कि उनके नाम पर बंदोबस्त जमीन कहां और किसके कब्जे में है. घाटशिला प्रखंड के केशरपुर, हलुदबनी, […]
बाघुड़िया पंचायत के केशरपुर सबर बस्ती के सबरों ने अपने नाम पर बंदोबस्त जमीन का परचा दिखाते हुए कहा कि सरकार ने वर्षों पहले बंदोबस्ती परचा तो दिया, लेकिन कब्जा प्रशासन ने नहीं दिलाया. नतीजतन सबरों के नाम बंदोबस्त जमीन कहां और किसके कब्जे में यह भी अधिकांश सबर नहीं जानते. सबरों के प्रधान कान्हु सबर ने बताया कि केशरपुर के सबरों के नाम पर बंदोबस्त जमीन गुड़ाझोर, सुखना पहाड़ के नीचे हैं.
जहां दूसरे गांवों के दबंगों का वर्षों से कब्जा है. सबर अपनी जमीन पर खेती तक नहीं कर पाते. अधिकांश सबर दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं. जानकारी हो कि ऐसी स्थित प्रखंड के अन्य सबर बस्तियों में भी है. एक दफा यह मामला जब प्रकाश में आया था तो अंचल विभाग हलुदबनी में जांच की थी. सबरों को मापी कर उनकी बंदोबस्त जमीन चिन्हित कर दिया गया था.परंतु आज भी सबरों को जमीन में दखल नहीं मिला है.
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